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सीरिया ने अमेरिका के उन बयानों का खडंन किया है जिसमें कहा गया था कि
सीरिया ने अमेरिका के उन बयानों का खडंन किया है जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2013 में सीरियाई सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए घोटा में लोगों के ऊपर उसकी सेना ने रसायनिक हमला किया था। सीरिया ने अमेरिकी बयानों को आधारहीन और मनगढ़ंत बताया है। सीरियाई सरकार की तरफ से यहां तक कहा गया है कि अमेरिका इस बारे में दुनिया में झूठ फैलाने में लगा हुआ है। उनके इन बयानों में कोई सच्चाई नहीं है। अमेरिका द्वारा इन हमलों के बाबत जो तथ्य पेश किए गए हैं उनको भी तोड़ा-मरोड़ा गया है।
आपको बता दें कि सीरिया के पश्चिम में राजधानी दमश्क से कुछ दूरी पर स्थित घोटा शहर विद्रोहियों का गढ़ रहा है। यहां पर वर्ष 2013 में केमिकल अटैक किया गया था, जिसमें करीब 1400 लोगों की मौत हो गई थी और इतनी ही संख्या में लोग घायल भी हुए थे। उस वक्त भी अमेरिका ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के ऊपर इन विद्रोहियों पर नर्व गैस एजेंट का हमला करवाने का आरोप लगाया था। अमेरिका का कहना था कि ये हमला जानबूझकर किया गया था, जिसको सीरियाई सेना ने विद्रोहियों को दबाने के लिए किया था। इस हमले के बाद बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने, शरीर पर गहरे घाव होने की बात भी सामने आई थी।
अब एक बार फिर से इस घटना पर अमेरिका ने बयान दिया था। अमेरिका के दिए बयानों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सीरियाई विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका ने बयान इसलिए दिया है जिससे वो अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपनी नाकामी को छिपा सके। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका सीरिया ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देता रहा है। इस बयान में कहा गया है कि सीरिया इस तरह के हमलों और इस तरह के हथियारों के सख्त खिलाफ है।
सीरिया ने का है कि वो इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल कभी भी, कहीं भी और किसी पर भी नहीं करना चाहता है। आपको बता दें कि घोटा पर हुए केमिकल हमले में 281 से 172लोग तक मारे गए थे। इस हमले में सरीन गैस का इस्तेमाल किया गया था। ये एक ऐसी घातक गैस होती है जो पल भर में इंसान की जान ले लेती है। ईरान-इराक युद्ध के बाद से ये सबसे बड़ा रासायनिक हमला था।
सीरिया ने अमेरिका पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि ये बयान ऐसे समय पर दिया गया है जब अफगानिस्तान के मुद्दे पर पूरी दुनिया में अमेरिका की किरकिरी हो रही है। अमेरिका ने इसको केवल ध्यान भटकाने के इरादे से ही दिया है।
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