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जाने सऊदी ने क्यों मांगी पाकिस्तान से 300 करोड़ डालर के लोन की रकम वापस, इमरान सरकार की वित्तीय चुनौतियां में इजाफा
Renuka Sahu
16 Feb 2022 3:07 AM GMT
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फाइल फोटो
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की वित्तीय चुनौतियां नकदी की तंगी के साथ बढ़ती ही जा रही हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की वित्तीय चुनौतियां नकदी की तंगी के साथ बढ़ती ही जा रही हैं। पाकिस्तान ने एक साल पहले सऊदी अरब से करीब 300 अमेरिकी डालर करोड़ का ऋण लिया था। जिसे अब पाक को वापस करना होगा, यह ऋण प्रत्येक तिमाही में चार फीसदी ब्याज की दर पर लिया गया था।
साल 2021 में फिर से चालू हुई आर्थिक मदद
सऊदी अरब ने अक्टूबर 2021 में पाकिस्तान के लिए अपनी वित्तीय सहायता को फिर से चालू करने पर सहमती जताई थी। जिसमें सुरक्षित जमा राशि के तौर पर करीब 300 करोड़ अमरीकी डालर और आस्थगित भुगतान को तौर पर 120 से 150 करोड़ अमेरीकी डालर मूल्य की तेल आपूर्ति शामिल थी। इससे पाकिस्तान को अपनी वित्तीय योजना के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को समझाने में मदद मिलने की उम्मीद थी। द टाइम्स आफ इज़राइल की रिपोर्ट के अनुसार, इसके प्रतिनिधियों ने पिछले हफ्ते इस्लामाबाद से आर्थिक सुधारों पर और अधिक जोर देने के लिए कहा है। उन्होंने सिर्फ टैक्स में बढ़ोतरी से और अधिक ऊपर जाने के लिए कहा है।
ब्याज दरों पर पाक की सफाई
पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन ने सऊदी के ऋण पर ब्याज दरों को लेकर कहा कि दुनिया भर में ब्याज दरें बढ़ रही हैं। चार फीसदी की ब्याज दर कोई बुरा सौदा नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी मामले में आस्थगित भुगतान की कोई गुंजाइश नहीं थी। मंत्री ने कहा कि अगर कोई होता भी है, तो वास्तविक ऋण समझौते में इसका उल्लेख जरूर किया गया होता।
पाक-सऊदी के द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट
गौरतलब है कि सऊदी द्वारा ऋण की रकम की मांग साफ दर्शाता है कि दो साल पहले पाक-सऊदी के द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट लगातार जारी है। सऊदी के गृह मंत्री तीन दिन पहले इस्लामाबाद के दौरे पर थे। उस दौरान उनके स्वागत स्वंय देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अल्वी ने किया था। द टाइम्स आफ इजराइल के अनुसार, दौरे के दौरान सभी पाक नेताओं ने सऊदी के समर्थन की भरपूर प्रशंसा की थी।
पाक विदेश मंत्री की बेतुकी बयानबाजी
दरअसल पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मांग रखी थी कि रियाद कश्मीर विवाद पर भारत के साथ चर्चा के लिए एक ओआईसी बैठक बुलाए। लेकिन इस दौरान कुरैशी ने सऊदी और अन्य खाड़ी देशों पर मुद्दे पर चुप रहने के आरोप लगाए। साथ ही कहा कि वो भारत के साथ आर्थिक संबंधों को अधिक महत्व देते हैं।
तुर्की से नजदीकी के विपरीत परिणाम
पाकिस्तानी विदेश मंत्री द्वारा इस तरह की बयानबाजी ने सउदी और संयुक्त अरब अमीरात को नाराज कर दिया। अब दोनों देशों ने लंबी अवधि के लिए पाकिस्तान को दिए गए ऋणों को वापस मांगा है। साथ ही आस्थगित भुगतान पर ईधन की रियायती बिक्री को भी वापस ले लिया है। द टाइम्स आफ इजराइल की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और तुर्की के बीच नजदीकियां बढ़ने के कारण खाड़ी राष्ट्र पाकिस्तान से चिढ़ गए हैं। तुर्की इस्लामी देशों की राजनीति में दोनों देशों का प्रतिद्वंद्वी हैं।
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