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जानिए चीन के मंगल ग्रह पर भेजे गए नए रोवर की कुछ खास बातें

Gulabi
16 May 2021 5:04 PM GMT
जानिए चीन के मंगल ग्रह पर भेजे गए नए रोवर की कुछ खास बातें
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मंगल ग्रह

चीन (China) ने पिछले साल जुलाई में अपने मंगल (Mars) अभियान प्रक्षेपित किया था. जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर (Rover) एक साथ मंगल की ओर रवाना किए गए थे. अब चीन का रोवर मंगल पर सफलतापूर्वक उतर गया है. इस तरह चीन मंगल पर रोवर उतारने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है. यह जल्दी ही मंगल के वायुमंडलीय और भूगर्भीय अध्ययन करेगा.


ज्यूरोंग (Zhurong) नाम का यह रोवर (Rover) मंगल के उत्तरी गोलार्द्ध के विशाल मैदान यूटोपिया प्लैनिटा पर उतरा है. चीनी लोककथाओं में ज्यूरोंग का मतलब आग का देवता है. इस अभियान में चीन का जोर उस समयावधि पर है जो मगंल ग्रह (Mars) के पृथ्वी के पास होने से मिली है. ऐसा हर दो साल में एक बार होता है. चीनी वैज्ञानिक अब कम से कम अगले 90 दिनों में मंगल का भूगर्भीय अध्ययन करने पर ध्यान देंगे.
फिलहाल ज्यूरोंग रोवर (Zhurong Rover) लैंडर से फौरन ही अलग नहीं होगा. पहले यूटोपिया मैदान (Eutopia Planita) का सर्वेक्षण किजा जाएगा और वहां की उच्च विभेदन तस्वीरों के जरिए रोवर को खोलने के लिए उचित जगह का चुनाव किया जाएगा. इसका मकसद ऊबड़खाबड़ जमीन से बचते हुए सपाट सतह को खोजा जाएगा. इसके बाद रोवर लैंडर से अलग होगा और वह अमेरिकी पर्सिवियरेंस और कयूरोसिटी रोवर के साथ मिल कर मंगल ग्रह (Mars) का अन्वेषण करेगा.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ज्यूरोंग रोवर (Zhurong Rover) का भार 240 ग्राम है और यह नासा (NASA) के स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी रोवर से थोड़ा भारी है लेकिन यह पर्सिवियरेंस और क्योरिसिटी के भार का एक चौथाई ही है. ज्यूरोंग में शक्तिशाली वापस खींच लेने योग्य सौर पैनल लगे हैं जिसमें सात मूल उपकरण हैं. इनमें कैमरा, जमीन के अंदर विभेदन कर सकने वाले राडार, एक मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर, और एक मौसम स्टेशन शामिल है. इसका राडार मंगल (Mars) की सतह के नीचे पुरातन जीवन के संकेतों के साथ ही वहां मौजूद तरल पानी की भी तलाश करेगा.

मंगल पर लैंडिंग (Mars Landing) आसान काम नहीं है. यह हमारे सौरमंडल (Solar System) में सबसे कठिन लैंडिंग वाले इलाके में से एक माना जाता है. चीन के तियानवेन-1 यान ने तीन महीने तक लाल ग्रह के चक्कर लगाए थे उसके बाद उससे रोवर को उतारने वाला लैंडर (Lander) अलग हुआ और मंगल की सतह की ओर नीचे आया. इससे पहले 1976 में नासा का वाइकिंग-2 यान यहां उतरा था.

चीन (China) की स्पेस न्यूज ने बताया कि मंगल (Mars) के वायुमंडल से होकर नीचे आने में दौरान के नौ मिनट 'खौफनाक' थे. नीचे आने के दौरान शुरुआती दौर में रोवर एक एरोशेल से ढंका था. कैप्सूल की गति कम होने लगी जब एक बार वह मंगल की हवा से गुजरने लगा और पैराशूट के खुलने के बाद उसकी गति और कम हो गई. इसके कुछ समय बाद ही चीन की सिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने घोषणा कर दी कि चीन ने पहली बार मंगल पर कोई निशान छोड़ा है. यह देश के अंतरिक्ष अन्वेषण का अहम कदम है

मंगल (Mars) पर अंतरिक्ष यान भेजना का यह चीन (China) का पहला प्रयास नहीं हं. करीब 10 साल पहले चीन ने यिंगहुओ अभियान भेजने का प्रयास किया था जब रूस (Russia) के रॉकेट उसे उड़ाने में सफल नहीं हुआ था और वह यान पृथ्वी की वायुमंडल में ही रहते हुए जल गया था. यदि ज्यूरोंग सफलता पूर्व मंगल पर चलने लगा तो चीन पहला ऐसा देश हो जाएगा जिसने एक ही मंगल अभियान में ऑर्बिटर लैंडर और रोवर स्थापित किया होगा

ज्यूरोंग रोवर (Zhurong Rover) कैमरा मगंल (Mars) की चट्टानों की तस्वीरें लेगें. इन तस्वीरों से वहां के खनिजों की जानकारी हासिल की जाएगी. इसके अलावा ज्यरोंग में एक स्पैक्ट्रोमीटर भी लगा है जिसमें लेजर आधारित तकनीक है जो चट्टानों को अध्ययन के लिए काट भी सकता है. रोवर का मैग्नेटोमीटर आसपास की मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) का जानकारी हासिल करेगा. इससे यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि मंगल ने आखिर अपने तगड़ी मैग्नेटिक फील्ड गंवा कैसे दी.


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