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जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी की बहुत सारे जंगलों में आग लगना आम सी बात हो रही है
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण पृथ्वी (Earth) की बहुत सारे जंगलों में आग लगना आम सी बात हो रही है. लेकिन 12,800 साल पहले पृथ्वी पर आग का एक बहुत बड़ा तूफान (Firestorm) ही आ गया था. यह आग धूमकेतु के टुकड़ों की वजह से फैली थी जो आकार में 100 किलोमीटर वर्ग चौड़ा था. एक अध्ययन में बताया गया है कि यह आग का तूफान उस आग से भी ज्यादा खतरनाक था जिसके कारण डायनासोर का पृथ्वी से समूल नाश हो गया था. इतना ही नहीं, इस तूफान की वजह से पृथ्वी पर हिमयुग की शुरुआत हो गई थी.
छोटे हिमयुग की शुरुआत
शोध में कहा गया है कि आग के इस तूफान ने पृथ्वी के 10 प्रतिशत हिस्से को अपनी लपेट में ले लिया था. इस घटना से धूल के बादलों ने पृथ्वी को ढक लिया था और एक छोटे से हिमयुग की शुरुआत कर दी थी. इससे पृथ्वी अगले एक हजार सालों तक ठंडी रही थी. यह वैसा ही था जैसे एक साल पहले पृथ्वी ग्लेशियर से ढक गई थी.
डायनासोर के विनाश वाली घटना की तुलना में
एक लाख साल पहले भी एक बार आग पूरी जलने के बाद जीवन चक्र फिर से शुरू हो गई थी. साल 2018 में हुए एक अध्ययन इस विनाशकारी घटना के बारे में विस्तार से बताया गया है. उस अध्ययन के सह लेखक एड्रेन मेलौट ने बताया कि धारणा यह है कि एक विशाल धूमकेतु के टुकड़े पृथ्वी से टकराए थे जिससे यह विनाश हुआ था.
दुनिया भर के 170 स्थानों का अध्ययन
मेलौट ने बताया, "कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रेट, अमोनिया और दूसरे बहुत सारे रासायनिक संकेत मिले थे. सभी यह दर्शाते हैं कि पृथ्वी की धरती का दस प्रतिशत हिस्सा या करीब एक करोड़ वर्ग किलोमीटर का हिस्सा आग ने घेर लिया था. इस घटना के अध्ययन के लिए 24 वैज्ञानिकों की एक टीन में दुनिया भर की 170 स्थानों से भूरासायनिक और इसोटोपिक निशानों का मापन किया.
जले थे देवदार के जंगल
कई तरह के अध्ययनों में एक परागों को स्तरों का स्वरूपों का भी अध्ययन जिससे पता चला कि देवदार के जंगल अचानक ही जल गए थे जिनकी जगह पेड़ों की ऐसी लोकप्रिय प्रजाति ने ले ली जो बंजर जमीन पर पनपने में माहिर थे. वास्तव में उस धूमकेतु के टुकड़े अब भी 13 हजार साल बाद सौरमंडल में घूम कर रहे होंगे.
क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के तत्व
शोधकर्ताओं ने अपने नमूनों के विश्लेषण में पाया कि उनमें उचच स्तर की धूल के साथ उच्च मात्रा में प्लैटेनियम पाया जो प्रायः क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं में पाया जाता है. इसके अलावा उनमें जीवभार के जलने से बनने वाले कम्बशन एरोसोल की बढ़ी मात्रा मिली. पेड़ पौधे मर गए, भोजन के स्रोतों की कमी हो गई और पीछे जाते ग्लेशर फिर बढ़ने लगे. यहां तक कि मानव जनसंख्या तक को विपरीत स्थितियों का सामना करना पड़ा.
यंगर ड्रायस काल
जर्नल ऑफ जीयोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के आंकलन से पता चला है कि इस घटना के असर से ओजोन परत भी खत्म हो गई होगा जिससे त्वचा के कैंसरऔर अन्य नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव देखने को मिले होंगे. शोधकर्ताओं की टीम का मत है कि धूमकेतु के टुकड़ों के फैलने से पैदा हुआ आग का तूफान ही उस अतिरिक्त ठंडक के लिए जिम्मेदार है. जिसे यंगर ड्रायस काल कहा जा है. इससे महासागरीय धाराओं में बदलाव आ गया था.
वैज्ञानिक इससे कई साल पहले भी धूमकेतु के टकराव को यंगर ड्रायस घटना के लिए जिम्मेदार मानते रहे हैं. अब इस बात पर सभी एक मत हैं कि आंकड़े भी धूमकेतु के टकराव की ओर ही इशारा कर रहे हैं जिसका यह अध्ययन भी समर्थन कर रहा है. इस अध्ययन में भारी मात्रा में प्रमाण मिले हैं जिनसे इस तरह के बड़े खगोलीय टकारव की घटनाओं की व्याख्या की जा सकती है.
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