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सैटलाइट इंटरनेट
इलेक्ट्रिक कार से लेकर रॉकेट तक बनाने वाले बिजनेसमैन एलन मस्क भारत के लोगों के लिए बड़ी खुशबरी लेकर आ रहे हैं। सैटेलाइट्स से सीधे आप तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए भारत में उन्होंने कंपनी गठित कर दी है। कोरोना काल और वर्क फ्रॉम होम के दौरान दूर दराज क्षेत्रों में लोगों को इंटरनेट की समस्या का काफी सामना करना पड़ा था। ऐसे उन क्षेत्रों के लोगों काफी सहूलियत मिलेगी जहां पर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं है या इंटरनेट स्पीड की गंभीर समस्या है।
एलन मस्क की टेस्ला कार कंपनी की एंट्री के बाद बहुत जल्द भारत में 'स्टारलिंक इंटरनेट' कंपनी भी दस्तक देने वाली है। 'स्टारलिंक इंटरनेट' कंपनी हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध कराती है। भारत में इस सर्विस के उपलब्ध होने के बाद उन दूरदराज के इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट का लाभ उठाया जा सकेगा, जहां इस समय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। आइये इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर सैटेलाइट्स से सीधे आप तक इंटरनेट कैसे पहुंचेगा...
कैसे काम करता है सैटलाइट इंटरनेट
सैटलाइट इंटरनेट का नाम सुनकर आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि आखिर ये काम कैसे करता है? साथ ही ये भी सवाल मन में आ रहे होंगे कि क्या सैटेलाइट्स वायर से काम करेंगे? लेकिन ऐसा नहीं है, ये सैटेलाइट्स वायर से नहीं बल्कि लेजर बीम का इस्तेमाल कर स्पेस से डेटा ट्रांसफर करते हैं। लेजर का सिग्नल अच्छा हो इसके लिए एक सैटेलाइट अपने पास के चार और सैटेलाइट्स से संपर्क साधता है। फिर वो सैटेलाइट्स चार दूसरे सैटेलाइट्स से जुड़ते हैं। इस तरह आसमान में सैटेलाइट्स का एक नेटवर्क तैयार हो जाता है, जो जमीन पर हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराता है।
भारत में कब उपलब्ध होगा सैटेलाइट से इंटरनेट?
उम्मीद की जा रही है कि अगले साल मार्च तक भारत में एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक का सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध हो जाएगा। भारत में अभी रेगुलेटर से अप्रूवल की प्रक्रिया चल रही है।
वहीं सैटेलाइट इंटरनेट के स्पीड की बात करें तो स्टारलिंक से 50 एमबीपीएस से लेकर 150 एमबीपीएस के बीच इंटरनेट स्पीड मिलती है। ये लो-लेटेंसी इंटरनेट सर्विस है जो सिर्फ 20 से 40 मिली सेकेंड्स का समय लेती है।
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