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इन पैसों से किम परिवार ऐशो आराम की जिंदगी जीता है.
उत्तर कोरिया से भागने वाले एक जासूस ने तानाशाह किम जोंग उन के गहरे राज खोले हैं. वह देश से भागने के बाद अभी दक्षिण कोरिया में रह रहे हैं. उन्होंने एक वेबसाइट को इंटरव्यू दिया है, जिसमें बताया है कि कैसे किम जोंग काले धंधों से पूरा देश चला रहे हैं. उत्तर कोरिया की पावरफुल खुफिया एजेंसियों में 30 साल तक उच्च पदों पर काम करने वाले किम कुक-सोंग ने (Kim Kuk-song) कहा कि 'खुफिया एंजेसियां सुप्रीम लीडर (किम जोंग उन) की आंख, कान और दिमाग हैं.' उन्होंने दावा करते हुए कहा कि किम जोंग अपनी आलोचना करने वाले हर शख्स को मरवा देते हैं.
सोंग ने बताया कि पैसे के लिए किम जोंग ने एक गैर कानूनी ड्रग्स लैब बनवाई है. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब उत्तर कोरिया का कोई इतना बड़ा अधिकारी इंटरव्यू दे रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया ऐसा देश है, जहां उच्च रैंक पर बैठे वफादार लोगों को भी जान का खतरा बना रहता है. वह साल 2014 में यहां से भागे थे और तभी से सियोल में रह रहे हैं और दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसियों (Intelligence Agencies) के साथ काम कर रहे हैं. उत्तर कोरिया के तानाशाह पैसा कमाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वह ड्रग डीलिंग करने से लेकर मध्य पूर्व और अफ्रीका में हथियार बेचने तक का काम करते हैं. जासूस के अनुसार, ड्रग्स और हथियारों से जुड़ी योजना राजधानी प्योंगयांग में बनती है.
टेरर टास्क फोर्स का गठन
साल 2009 में देश में नई खुफिया एजेंसी गठित की गई थी, जिसे रिकनेसैंस जनरल ब्यूरो नाम दिया गया. इसके बाद दक्षिण कोरिया जाने वाले वरिष्ठ अधिकारी ह्वांग जांग-योप की हत्या के लिए टेरर टास्क फोर्स (Terror Task Force) का गठन हुआ. जासूस सोंग ने खुद इसका नेतृत्व किया था. ह्वांग जांग-योप कभी देश के सबसे पावरफुल अधिकारी हुआ करते थे. उन्हें उत्तर कोरिया का नीति निर्माता कहा जाता है. लेकिन जब 1997 में वह दक्षिण कोरिया गए, तो यही उनका सबसे बड़ा गुनाह बन गया. योप किम शासन के आलोचक थे और इसलिए किम जोंग उनसे बदला लेना चाहते थे. लेकिन उनकी हत्या की कोशिश बेकार हो गई.
आतंकवाद एक राजनीतिक उपकरण
मामले में दो उत्तर कोरियाई सैन्य मेजर को गिरफ्तार किया गया. अब ये दोनों ही सियोल में 10 साल कैद की सजा काट रहे हैं. प्योंगयांग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है (Terror in North Korea). किम कुक-सोंग ने आगे बताया, 'उत्तर कोरिया में आतंकवाद एक राजनीतिक उपकरण है, जिसका काम किम जोंग उन और किम जोंग-इल (किम जोंग उन के पिता) की शान की रक्षा करना है.' साल 2010 में दक्षिण कोरिया के एक सैन्य जहाज पर पानी के भीतर मौजूद हथियार से हमला किया गया था, जिसमें 46 लोगों की मौत हो गई. इसके पीछे भी उत्तर कोरिया का हाथ था.
दक्षिण कोरिया पर हमला कराया
इसी साल नवंबर महीने में उत्तर कोरियाई तोपखाने से दर्जनों गोले दक्षिण कोरियाई द्वीप योनप्योंग पर दागे गए. जिसमें दो सैनिक और दो नागरिकों की मौत हो गई. उस हमले का आदेश किसने दिया, इस पर काफी बहस हुई (South Korea North Korea Fight). किम जोंग उन ने कहा कि वह 'चेओनन या योनप्योंग द्वीप पर हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे', लेकिन इसी देश के अधिकारियों के लिए हमला 'रहस्य नहीं था और इसे गर्व के साथ अंजाम दिया गया था.' सोंग ने बताया कि इतने बड़े हमले हमेशा ऊपर से दिए आदेश के बाद ही किए जाते हैं. इसका मतलब ये कि हमले का आदेश किम जोंग ने दिया था. सोंग कहते हैं, 'इस देश में सड़क भी किम जोंग की मर्जी के बिना नहीं बन सकती और ये तो एक बड़ा हमला था.'
दक्षिण कोरिया में भेजे जाते हैं जासूस
किम जोंग का कहना है कि उत्तर कोरिया में उनकी जिम्मेदारियों में से एक दक्षिण कोरिया से निपटने के लिए रणनीति विकसित करना है. इसका उद्देश्य 'राजनीतिक अधीनता' है. यानी दक्षिण कोरिया की जानकारी जुटाने के लिए वहां जासूसों को भेजना. सोंग कहते हैं, 'ऐसे कई मामले हैं, जब मैंने खुद जासूसों से दक्षिण कोरिया जाने को कहा और उनके जरिए ऑपरेशन चलाए. एक मामले में उत्तर कोरिया के एजेंट ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय यानी ब्लू हाउस में पांच से छह साल तक काम किया था और वह सुरक्षित उत्तर कोरिया भी लौट आया. ये मामला 1990 के दशक के शुरुआत का है.' दक्षिण कोरिया में आए दिन ऐसे जासूस पकड़े भी जाते हैं.
हैकर्स की बड़ी फौज खड़ी की
किम जोंग उन ने 6000 हैकर्स की एक बड़ी फौज भी खड़ी की है. उन्हें देश में बढ़ती गरीबी और वहां भूख से मरते लोगों से कोई मतलब नहीं है. कुक-सोंग बताते हैं कि किम जोंग से पिछले नेता किम जोंग-इल ने 1980 के दशक में नए कर्मियों को प्रशिक्षण देने का आदेश दिया था (North Korean Hackers). ताकि इन्हें साइबर वॉरफेयर के लिए तैयार किया जा सके. उनके अनुसार, 'इसके लिए मोरांबोंग यूनिवर्सिटी देशभर के प्रतिभाशाली छात्रों को दाखिला देती है और फिर इन्हें छह साल तक विशेष शिक्षा दी जाती है.' यहां से निकलने वाले हैकर्स दुनियाभर में साइबर हमले करते हैं. जासूस एजेंट्स चीन, रूस और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में हैं और किम जोंग को हर जरूरी बात बताते हैं.
ड्रग्स के उत्पादन से पैसा कमाना
किम ने देश में बढ़ती भुखमरी से निपटने के लिए 'क्रांतिकारी फंड' जमा करने का आदेश दिया है. जिसका मतलब है अवैध तरीके से ड्रग्स की डीलिंग करना. यहां 1990 के दशक में आए अकाल के वक्त भी ड्रग्स उत्पादन तेजी से बढ़ा था. कुक-सोंग खुद भी इसपर काम कर चुके हैं (Drug Dealings in North Korea). उन्होंने बताया, 'आदेश मिलने के बाद मैंने तीन विदेशियों को उत्तर कोरिया बुलाया. फिर वर्कर्स पार्टी के 715 लियासन ऑफिस के ट्रेनिंग सेंटर में प्रोडक्शन बेस तैयार किया गया और वहां ड्रग्स का उत्पादन शुरू हुआ. वह ICE (क्रिस्टल मेथ) था. फिर हमने उससे कमाए डॉलर्स किम जोंग-इल को सौंप दिए.' उत्तर कोरिया में जो भी पैसा कमाया जाता है वो केवल सुप्रीम लीडर का होता है ना कि जनता का. इन पैसों से किम परिवार ऐशो आराम की जिंदगी जीता है.
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