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कोरोना वायरस का एक और घातक सच सामने आया है। जर्नल ऑफ अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति में जाने वाले मरीजों के किडनी के काम करने की क्षमता लंबे समय तक या कुछ मरीजों में आजीवन प्रभावित हो सकती है।
कोरोना वायरस का एक और घातक सच सामने आया है। जर्नल ऑफ अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति में जाने वाले मरीजों के किडनी के काम करने की क्षमता लंबे समय तक या कुछ मरीजों में आजीवन प्रभावित हो सकती है।
डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स हेल्थ सिस्टम के रिकॉर्ड में एक मार्च 2020 से 15 मार्च 2021 के बीच कोरोना संक्रमण की चपेट में आए 89,216 मरीजों पर अध्ययन के बाद ये दावा किया गया है। प्रमुख शोधकर्ता और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जियाद अल-अली के अनुसार एक से छह माह के भीतर संक्रमण की चपेट में आए 35 फीसदी लोगों की किडनी को नुकसान पहुंचा।
डॉ. जियाद अल-अली का कहना है कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले जो मरीज 30 दिन तक जंग लड़ते रहे उनमें किडनी संबंधी बीमारी पनपने का खतरा अधिक है। शोध में शामिल बहुत से लोगों में देखा गया है कि लोगों को किडनी की तकलीफ का पता ही नहीं चलता है, क्योंकि न तो कोई दर्द होता है और न ही कोई लक्षण दिखता है। ऐसे में संक्रमित लोगों को अपने पर ध्यान देने की जरूरत है।
सभी मरीजों के साथ ऐसा नहीं : जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सी जॉन स्पेराती का कहना है कि एक अध्ययन के आधार पर ये नहीं कह सकते की सभी मरीजों के साथ ऐसी तकलीफ हो सकती है। संक्रमण के कारण कुछ मरीजों को किडनी संबंधी तकलीफें हुईं हैं।
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