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अफगानिस्तान पर कब्जा जमाए तालिबान ने भले ही पुराने क्रूर शासन के बजाय नई बेहतर छवि बनाने की पेशकश की है
अफगानिस्तान पर कब्जा जमाए तालिबान ने भले ही पुराने क्रूर शासन के बजाय नई बेहतर छवि बनाने की पेशकश की है लेकिन उसके कारनामों में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। खबरें हैं कि तालिबान ने काबुल की कमान हक्कानी नेटवर्क के खलील अल-रहमान हक्कानी को सौंप दी है, जिसके अल-कायदा जैसे आतंकी गुटों केसाथ करीबी रिश्ते रह चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक, यह कमान राष्ट्रीय समझौता परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह से मुलाकात के बाद सौंपी गई थी। इसके बाद अब्दुल्लाह ने संकेत दिए थे कि हक्कानी काबुल की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल सकता है। इसके कुछ घंटों बाद ही तालिबान ने 'अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात' का एलान किया था। दूसरी ओर पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ गई है कि क्या अल-कायदा एक बार फिर अफगानिस्तान की धरती पर पैर जमा सकता है। हालांकि अमेरिका के साथ दोहा में हुई बातचीत में तालिबान ने वादा किया था कि विदेशी जिहादियों को देश की जमीन पर पनपने नहीं दिया जाएगा।
पाकिस्तान में मिलता है प्रशिक्षण
हक्कानी नेटवर्क के संचालन में पाकिस्तान की अहम भूमिका है और यहीं से इसके संचालन व सहयोग की बातें सामने आ चुकी हैं। वजीरिस्तान में इसके शिविरों में लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। खबरों के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क के सहारे पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपना दखल बनाए रखना चाहता है। हक्कानी नेटवर्क के अल-कायदा से रिश्ते कई बड़े हमलों में उजागर हो चुके हैं।
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