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काबुल: सरकार गठन में देरी क्यों, हिबतुल्लाह अखुंदजादा रहेंगे तालिबान के सुप्रीम लीडर

Shiddhant Shriwas
4 Sep 2021 12:04 PM GMT
काबुल: सरकार गठन में देरी क्यों, हिबतुल्लाह अखुंदजादा रहेंगे तालिबान के सुप्रीम लीडर
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तालिबान ने 4 सितंबर को सरकार गठन की घोषणा की थी। यह दूसरी बार हुआ है जब तालिबान ने काबुल में नई सरकार के गठन में देरी की है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तालिबान ने सरकार गठन की प्रक्रिया को एक सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया है। यह जानकारी तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दी है। उन्होंने बताया है हम सभी लोगों लोगों को साथ लेकर चल रहे हैं और यही कारण है कि समावेशी सरकार के लिए हमें थोड़ा सा और वक्त चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि नई सरकार और कैबिनेट सदस्यों की घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी।

तालिबान ने 4 सितंबर को सरकार गठन की घोषणा की थी। यह दूसरी बार हुआ है जब तालिबान ने काबुल में नई सरकार के गठन में देरी की है। इससे पहले तालिबान ने 3 सितंबर को जुम्मे की नमाज़ के बाद सरकार गठन करने की बात कही थी।

पूर्व पीएम गुलबुद्दीन हिकमतयार बनेंगे मंत्री?

सरकार गठन को लेकर अलग-अलग समूहों के साथ बातचीत को लेकर तालिबान द्वारा गठित कमिटी के सदस्य खलील हक्कानी ने मीडिया से बात करते हुए बताया है, 'तालिबान दुनिया को स्वीकार्य होने वाले सरकार के गठन में लगा हुआ है और यही देरी का कारण बन रही है। तालिबान अपनी सरकार बना सकता है लेकिन हम ऐसी सरकार बनाने में लगे हुए हैं जिसमें सभी दल, समूह और समाज के लोगों की हिस्सेदारी हो।' हालांकि एक्सपर्ट्स सरकार गठन में देरी का सबसे प्रमुख कारण पंजशीर घाटी में जारी लड़ाई को बता रहे हैं।

खलील ने बताया है कि अफगानिस्तान के पूर्व पीएम गुलबुद्दीन हिकमतयार और देश छोड़कर जा चुके अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने तालिबान को समर्थन दिया है। इन दोनों को तालिबान सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

हिबतुल्लाह अखुंदजादा रहेंगे तालिबान के सुप्रीम लीडर

बता दें कि तालिबान सरकार का मॉडल काफी हद तक ईरान की तरह रहने वाला है। तालिबान नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा इस सरकार के सुप्रीम लीडर होंगे और प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति उनके आदेशों के तहत ही काम करेंगे। माना जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में अफगान सरकार की कमान होगी। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर सुप्रीम लीडर अखुंदजादा के बाद सबसे बड़े और शक्तिशाली नेता बनाए जा सकते हैं। इसके साथ ही सिराजुद्दीन हक्कानी, अनस हक्कानी, जबीउल्लाह मुजाहिद, सुहैल शाहीन, मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई जैसे नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।


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