विश्व

95 साल की महिला को 10 हजार लोगों की हत्या के आरोप मे किशोर अदालत सुनाएगी सजा

Kajal Dubey
6 Feb 2021 5:04 PM GMT
95 साल की महिला को 10 हजार लोगों की हत्या के आरोप मे किशोर अदालत सुनाएगी सजा
x
जर्मनी में हिटलर की सहयोगी 95 साल की एक नाजी महिला को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 10000 लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क जर्मनी में हिटलर की सहयोगी 95 साल की एक नाजी महिला को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 10000 लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया है। यह महिला उस समय नाजियों के एक यातना गृह में सचिव के रूप में काम करती थी। अभी इस महिला की सजा को लेकर कोई ऐलान नहीं हुआ है। जर्मनी की गोपनीयता कानून के तहत इस महिला की वास्तविक पहचान को छिपाकर इर्मगार्ड के रूप में संबोधित किया गया है।

95 साल की महिला को किशोर अदालत सुनाएगी सजा

अपराध के समय इस महिला की उम्र 21 साल के कम थी। इसलिए, जर्मनी के कानून के हिसाब से इस महिला को सजा के लिए किशोर अदालत में पेश किया जाएगा। जिसके बाद इसके वीभत्स जुर्म को लेकर सजा का ऐलान होगा। बता दें कि, जर्मनी में 21 साल के कम उम्र के नागरिकों को अपराध के लिए किशोर अदालत सजा सुनाती है।
स्तुथोफ कैंप के कमांडर की सचिव भी यह महिला
यह महिला जून 1943 से अप्रैल 1945 के बीच पोलैंड के शहर ग्दान्स्क से 20 मील की दूरी पर स्थित स्तुथोफ कैंप के कमांडर की सचिव के रूप में काम करती थी। अभियोजकों ने कहा कि महिला ने स्वीकार किया था कि उसके कैंप में बहुत से पत्राचार और कई फाइलें ऐसी थीं जिसमें उसे कैदियों की कुछ हत्याओं के बारे में बहुत कुछ पता था। हालांकि, उसने इस जानकारी से इनकार किया था कि उस समय हजारों लोगों को गैस चेंबर में मारा गया था।
पिछले साल भी 93 साल के एक व्यक्ति को सुनाई गई थी सजा
पिछले साल, 93 वर्षीय एक व्यक्ति को हैम्बर्ग के एक किशोर न्यायालय में 5,230 हत्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था। वह भी स्तुथोफ कैंप में 17 साल की उम्र में गार्ड का काम करता था। माना जाता है कि 60,000 से अधिक लोग स्तुथोफ कैंप में नाजियों के हाथों मारे गए थे। यह जर्मनी की सीमा के बाहर स्थापित होने वाला पहला यातना शिविर था।
क्या था हिटलर का 'फाइनल सोल्यूशन'
1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़काने के बाद हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल (फाइनल सोल्यूशन) को अमल में लाना शुरू किया। इस दौरान जर्मनी और पोलैंड में कई यातना शिविरों का निर्माण किया गया। इसमें सबसे बड़ा था ऑश्वित्ज के नाजी होलोकॉस्ट सेंटर। हिटलर की खुफिया एजेंसी एसएस यूरोप के अधिकतर देशों से यहूदियों को पकड़कर यहां लाती थी। जहां काम करने वाले लोगों को जिंदा रखा जाता था, जबकि जो बुढ़े या अपंग लोग होते थे उन्हें गैस चेंबर में डालकर मार दिया जाता था। इन लोगों के सभी पहचान के सभी दस्तावेजों को नष्ट कर हाथ में एक खास निशान बना दिया जाता था।
यहूदियों को क्यों मारना चाहते थे नाजी
नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (NSDAP) को नाज़ी कहा जाता था। नाजी पार्टी जर्मनी में एक राजनीतिक पार्टी थी जो 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद स्थापित हुई थी। नाजी नेतृत्व का कहना था कि दुनिया से यहूदियों को मिटाना जर्मन लोगों और पूरी इंसानियत के लिए फायदेमंद होगा। हालांकि असल में यहूदियों की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं था। इसके लिए उन्होंने उम्र, लिंग, आस्था या काम की परवाह नहीं की।


Next Story