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किसान आंदोलन पर भारत को सीख देने वाले जस्टिन ट्रूडो, खुद घिरे तो प्रदर्शनकारियों को बताया कनाडा के विकास में बाधक
Renuka Sahu
8 Feb 2022 4:54 AM GMT
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फाइल फोटो
किसान आंदोलन पर भारत को ज्ञान देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आज अपने देश के लोगों के लोगों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते दिख रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसान आंदोलन पर भारत को ज्ञान देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आज अपने देश के लोगों के लोगों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते दिख रहे हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि प्रदर्शन को रोकने की जरूरत है क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहा है। ओटावा में कोविड -19 वैक्सीन जनादेश के खिलाफ विरोध कर रहे ट्रक ड्राइवरों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए, ट्रूडो ने कहा कि इसे समाप्त होना चाहिए। आपको बता दें कि किसान आंदोलन को उन्होंने प्रदर्शनकारियों का अधिकार बताया था।
कनाडा के प्रधानमंत्री संसद में बोल रहे थे जब उन्होंने यह टिप्पणी की। भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "प्रदर्शनकारी हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे लोकतंत्र और हमारे साथी नागरिकों के दैनिक जीवन को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे रोकना होगा।" ट्रूडो ने आगे कहा, "ओटावा के लोग अपने ही पड़ोस में परेशान होने के लायक नहीं हैं। वे सड़क के किनारे जारी हिंसा को सामना करने के लायक नहीं हैं।"
ट्रूडो ने यह भी कहा, "यह एक ऐसे देश की कहानी है, जो एकजुट होकर इस महामारी से उबरा है। कुछ लोग चिल्ला रहे हैं।"
कंगना ने कसा था तंज
अभिनेत्री कंगना रनावत ने 31 जनवरी को को इंस्टाग्राम पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर तंज कसा। कनाडा के ओटावा में चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बारे में एक पोस्ट साझा करते हुए कंगना ने लिखा, 'कर्म का फल भुगतना पड़ता है।'' 2020 में भारत में सरकार का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में जस्टिन के आगे आने के मद्देनजर कंगना का यह बयान आया था।
किसान आंदोलन पर क्या बोले थे ट्रूडो
भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के समय जस्टिन ट्रूडो ने कहा था, 'अगर मैं किसानों के विरोध के बारे में भारत से आने वाली खबरों पर अपनी बात न रखता हूं तो मुझे खेद होगा। स्थिति चिंताजनक है। हम सभी परिवार और दोस्तों को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम जानते हैं कि यह आप में से कई लोगों के लिए एक वास्तविकता है। मैं आपको याद दिला दूं, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हम बातचीत की प्रक्रिया में विश्वास करते हैं। हम अपनी चिंताओं को उजागर करने के लिए कई माध्यमों से भारतीय अधिकारियों तक पहुंचे हैं। यह हम सबके लिए एक साथ आने का क्षण है।''
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