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मैंने ब्रिटेन छोड़ दिया था। मैं तब 15 साल की थी और मुझे बहका दिया गया था।
डमस्कस: आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए 2015 में सीरिया जाने वाली बांग्लादेशी मूल की ब्रिटिश युवती शमीमा बेगम को उसकी मौत का डर सता रहा है। शमीमा बेगम को जिहादी दुल्हन के नाम से भी जाना जाता है। शमीमा को डर है कि उसके खिलाफ जल्द ही आतंकवाद के मामले में मुकदमा चलेगा, जिसमें उसे मौत की सजा दी जाएगी। अधिकारियों ने शमीमा और ISIS से संबंधों की जांच के आदेश दिया है।
शमीमा की नागरिकता भी ब्रिटेन ने खत्म कर दी है। वहीं, कानूनी दिक्कतों के कारण वह बांग्लादेश भी नहीं जा सकती। अब जिहादी दुल्हन सीरिया के एक शरणार्थी कैंप में रह रही है। शमीमा ने 15 साल की उम्र में अपनी दो सहेलियों अमीरा अबासे और कदीज़ा सुल्ताना के साथ ब्रिटेन छोड़ दिया था। अधिकारी अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या शमीमा ने ISIS के लिए आत्मघाती हमलावर तैयार किए।
ब्रिटेन लौटना चाहती है शमीमा
शमीमा के दोस्तों का कहना है कि वह सीरिया के रोजवा क्षेत्र में रह रही है। उसे वहां की न्याय प्रणाली पर विश्वास नहीं है, इसलिए वह ब्रिटेन लौटने के लिए बेताब है। द सन की रिपोर्ट के मुताबिक शमीमा यह बात जानती है कि अगर वह आतंकवाद के मामले में दोषी पाई गई तो उसे मौत की सजा मिलेगी। वह बहुत डरी हुई और चिंतित है। उसे ऐसा लग रहा है कि आतंकवाद अपराधों में शामिल अन्य आरोपी महिलाओं के साथ उसका मुकदमा चलाया जाएगा।
'मुझे बहकाया गया था'
शमीमा के मुकदमे की कोई तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन उसे बताया गया है कि सितंबर और अक्टूबर में उसके मुकदमे की सुनवाई होगी। रोजावा के अधिकारी मृत्युदंड की वकालत नहीं कर रहे, लेकिन वह ये मानते हैं कि जिहादी दुल्हन सजा से नहीं बच सकेगी। पिछले साल एक इंटरव्यू में शमीमा ने कहा था कि मेरी गलती सिर्फ इतनी है कि मैंने ब्रिटेन छोड़ दिया था। मैं तब 15 साल की थी और मुझे बहका दिया गया था।
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