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जापान को आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
बीजिंग: यूक्रेन युद्ध को लेकर चल रहे तनाव के बीच रूस और चीन के युद्धपोतों के जापान की 'घेरेबंदी' से पूर्वी चीन सागर में तनाव काफी बढ़ गया है। जापान ने जहां विवादित द्वीपों के पास चीन और रूस के युद्धपोतों को जोरदार विरोध किया है, वहीं ड्रैगन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि यह दोनों देशों की ओर से जापान को चेतावनी है। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने रूस के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पश्चिमी प्रशांत इलाके में रूस की नौसैनिक गतिविधि जापान को डराने के लिए है ताकि वह उतावले में कोई कदम न उठा ले।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि हाल ही में रूस की ओर से उठाया गया कदम जापान के लिए एक चेतावनी है, वह भी तब जब टोक्यो की ओर से मास्को पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। साथ ही पश्चिमी देशों की ओर से यूक्रेन संकट को लेकर रूस पर बढ़ाए गए दबाव को कम किया जा सके। जापान ने बताया कि यह घटना सोमवार की है। जापान ने कहा कि चीन का एक फ्रीगेट सेनकाकू आइलैंड के चारों ओर जापानी जलक्षेत्र से सटे इलाके में घुस आया था। चीन इस द्वीप पर अपना दावा करता है और उसे दिआओयू कहा जाता है।
घातक मिसाइलों से लैस था चीनी युद्धपोत
जापान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एक रूसी फ्रीगेट के जापानी जल क्षेत्र में प्रवेश के 40 मिनट चीनी युद्धपोत के घुसने की पुष्टि हुई। ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन और रूस के युद्धपोतों के पास सेनकाकू द्वीप से सटे इलाके में जाने और आने का अधिकार है। चीनी अखबार ने चीन के रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि यह जापान को चेतावनी है। बताया जा रहा है कि चीन ने अपने Type 053H3 फ्रीगेट को भेजा था जो YJ-83 एंटी शिप मिसाइल, HHQ-7 एयर डिफेंस मिसाइल और 37 मिलिमीटर कैलिबर की बंदूक से लैस था।
बताया जा रहा है कि जून 2016 में चीन और रूस के नौसैनिक जहाजों के एक साथ घुसपैठ के बाद ऐसा पहली बार है जब इन दोनों देशों के युद्धपोत एक साथ नजर आए हैं। जापान ने इस चेतावनी पर विरोध दर्ज कराया है। इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने दावा किया है कि दिआओयू द्वीप समूह चीन का है। साथ ही चीन के युद्धपोतों का जाना पूरी तरह से वैध है। जापान को आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
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