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मालदीव की यात्रा पूरी कर श्रीलंका पहुंचे जयशंकर, बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भी लेंगे हिस्सा

Neha Dani
28 March 2022 5:42 AM GMT
मालदीव की यात्रा पूरी कर श्रीलंका पहुंचे जयशंकर, बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भी लेंगे हिस्सा
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उत्पादों की खरीद में मदद करने के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता दी थी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने और सात देशों के 'बिम्सटेक' (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए देर रात श्रीलंका की राजधानी कोलंबो पहुंचे. श्रीलंका (Sri Lanka) को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने के लिए भारत की ओर से आर्थिक राहत पैकेज देने के बाद से ये द्वीप राष्ट्र की उनकी पहली यात्रा है. अधिकारियों ने कहा कि हालांकि जयशंकर की यात्रा मुख्य रूप से बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से जुड़ी है, लेकिन वो श्रीलंकाई नेताओं के साथ सभी महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता में भाग लेंगे.

बिम्सटेक में भारत और श्रीलंका के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं. शिखर सम्मेलन की मेजबानी श्रीलंका द्वारा बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के अध्यक्ष के रूप में की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को बिम्सटेक समूह के शिखर सम्मेलन में डिजिटल माध्यम से भाग लेंगे, जिसमें सदस्य देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है.
विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा है श्रीलंका



ये शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब श्रीलंका अपने अब तक के सबसे खराब विदेशी मुद्रा संकट का सामना कर रहा है, क्योंकि कोरोना महामारी ने द्वीप राष्ट्र की पर्यटन और प्रेषण (रेमिटेंस) से होने वाली कमाई को प्रभावित किया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब संकट से निपटने में श्रीलंकाई सरकार की अक्षमता पर जनता का आक्रोश खुलकर सामने आया है. लोग ईंधन और गैस की कतारों से छुटकारा पाने और लंबे समय तक बिजली कटौती को सहन करने के लिए तत्काल समाधान का आग्रह करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे ने इस मुद्दे से निपटने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर को ऐसे वक्त में एक सहायक सहयोगी के रूप में देखा, जब सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा चरम पर था. शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के तौर पर ही सही, न केवल राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से सत्ता से हट जाने की अपील की गई है, बल्कि पूरे राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ परिवार को अपनी अक्षमता के लिए इस्तीफा देने की मांग की गई है. हालांकि सरकार और विपक्षी नेताओं के साथ-साथ आर्थिक विश्लेषकों ने भी भारत की सहायता की सराहना की है, लेकिन भारत की पूर्व शर्तों पर भी कुछ चिंताएं जताई गई हैं.
भारत ने हाल ही में आर्थिक संकट से निपटने के लिए श्रीलंका को अपनी वित्तीय सहायता के तौर पर एक बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता देने की घोषणा की थी. नई दिल्ली ने फरवरी में कोलंबो को पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद में मदद करने के लिए 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता दी थी.

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