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SEX के दौरान पार्टनर की सहमति के बिना कंडोम को हटाना होगा गैरकानूनी, मुकदमा किया जाएगा दर्ज

Neha Dani
12 Oct 2021 5:06 AM GMT
SEX के दौरान पार्टनर की सहमति के बिना कंडोम को हटाना होगा गैरकानूनी, मुकदमा किया जाएगा दर्ज
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फिलहाल अब यह कानून पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।

अमेरिका के कैलिफोर्निया में कंडोम के यूज को लेकर कानून पारित किया गया है कि यदि पार्टनर की सहमति लिए बिना सेक्स के दौरान कंडोम को हटाया गया तो यह गैरकानूनी होगा। इसके लिए मुकदमा दर्ज करने का भी प्रावधान बनाया गया है। इस कानून को बनाने वाला कैलिफोर्निया सिर्फ अमेरिका का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का पहला राज्य बन गया है। हालांकि इस कानून के बनते ही इस पर बहस भी शुरू हो गई है कि यह कैसे संभव हो पाएगा।

दरअसल, अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्टील्थिंग को गैरकानूनी बना दिया गया है। इस कानून के लिए यहां लंबे समय से मांग की जा रही थी। इस कानून के लिए लंबे समय से लड़ाई करने वाली क्रिस्टीना गार्सिया ने विधानसभा में कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि स्टील्थिंग न केवल अनैतिक है, बल्कि अवैध भी है। डेमोक्रेटिक असेंबली की गार्सिया 2017 से इस तरह के कानून पर जोर दे रही थीं।
आखिरकार अब इस बिल को मंजूरी मिल गई है और इसे कानून बनाकर पारित कर दिया गया है। गवर्नर गेविन न्यूसम ने उस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे पहले कैलिफोर्निया के विधायकों ने सात अगस्त को गवर्नर गैविन न्यूसम के पास इसका बिल भेजा था। हालांकि इस कानून के लिए अपराध संहिता में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस कानून के तहत सेक्स वकर्स भी अपने उन ग्राहकों पर मुकदमा दर्ज कर सकेंगी जो सेक्स के दौरान सहमति के बिना कंडोम निकाल देते हैं।
कानून के मुताबिक, बिना सहमति कंडोम निकालने वाले आरोपी पर सिविल कोड के तहत मामला दर्ज किया जा सकेगा। इसमें पीड़ित अपने हर्जाने के लिए आरोपी के खिलाफ मुकदमा दायर कर सकता है। हालांकि इसके आगे अपराधी को और किसी तरह की सजा नहीं दी जा सकती है। गार्सिया ने बताया कि इस कानून को दंड संहिता में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्टील्थिंग की वजह से महिलाओं में सेक्स ट्रांसमिटेड डिजीज और प्रेग्नेंसी का खतरा बना रहता है।
इतना सब होने के बावजूद भी इस कानून पर बहस बनी हुई है कि यह कैसे संभव हो पाएगा। कुछ लोगों का कहना है कि इस कानून के तहत मुकदमा दर्ज कराने में कई तरह की अड़चनें आ सकती हैं। जैसे कि पीड़ित को ये साबित करने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। खुद गार्सिया का भी मानना है कि इस कानून को दंड संहिता में होना चाहिए, इसे बलात्कार या यौन अपराध की श्रेणी में रखना चाहिए। फिलहाल अब यह कानून पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।


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