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यूरोप के लिए होंगे भारी, अपना इंतजाम करने में जुटे हैं यूरोप के कई देश

Rounak Dey
22 Aug 2022 10:44 AM GMT
यूरोप के लिए होंगे भारी, अपना इंतजाम करने में जुटे हैं यूरोप के कई देश
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बता दें कि यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।

यूरोप में सर्दियों की शुरुआत होने को है और रूस से आने वाली गैस को लेकर लगातार चिंता बढ़ती जा रही है। ये चिंता किसी एक देश की नहीं है बल्कि समूचे यूरोप की है। जर्मनी पहले ही रूस से गैस की कमी होने की आशंका जता चुका है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद पहले से ही गैस में आधी से ज्‍यादा की कटौती मास्‍को की तरफ से की जा चुकी है। ऐसे में यूरोपीय देशों के सामने विकराल संकट खड़ा है।


आने वाले दिन यूरोप पर भारी पड़ने वाले हैं। हालांकि, रूस के रुख को देखते हुए कुछ यूरोपीय देश इस कमी को अपने सिरे से पूरे करने की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं। इनमें से एक लात्विया ने रूस के रुख को भांपते हुए जुलााई में ही सर्दियों के लिए इंतजाम करना शुरू कर दिया था। जुलाई में करीब दो सप्‍ताह के लिए रूस ने यूरोप को गैस की सप्‍लाई पूरी तरह से रोक दी थी। ऐसा टरबाइन में आई खराबी की वजह से किया गया था।

लात्विया के Rezekhe शहर में रहने वाले Juons Ratiniks ने बताया कि आने वाले दिनों में गैस के संकट को कम करने के लिए लात्विया में सिटी पाइपलाइन से गरम पानी की सप्‍लाई को रोक दिया है। लात्विया में सर्दियों के संकट को देखते हुए अपने हाट वाटर बायलर प्‍लांट लगाने शुरू कर दिए हैं। उन्‍होंने बताया कि गैस के दाम काफी बढ़ गए हैं। ये शहर रूस की सीमा से लगता हुआ है। उन्‍होंने बताया कि ये रूस की गैस से कहीं ज्‍यादा सस्‍ता है। जब तक इस्‍तेमाल करो उसकी कीमत चुका दो। इसकी सप्‍लाई भी लगातार हो जाती है।

जूनोस ने कहा कि नेताओं को ये समझना चाहिए कि लोग बढ़े हुए एनर्जी बिल में कमी चाहते हैं। उन्‍होंने ये भी कहा कि देश में अक्‍टूबर में चुनाव होने हैं। यदि नेताओं ने उनकी बात नहीं सुनी तो लोग उनको इस मुद्दे पर मजा भी चखा देंगे।

यूरोप के कुछ और देश जैसे बुल्‍गारिया, फिनलैंड, नीदरलैंड और पोलैंड भी गैस की खपत में कमी कर चुके हैं। इनके अलावा कुछ दूसरे देश भी धीरे-धीरे गैस की खपत कम करने में लगे हुए हैं। इस माह के अंत में रूस से नार्ड स्‍ट्रीम 1 पाइपलाइन के जरिए आने वाली गैस को रोक दिया जाएगा। गर्मियों के बाद ऐसा दूसरी बार होगा। जर्मनी लगातार रूस पर गैस में जानबूझकर कमी करने का आरोप लगाता रहा है। वहीं रूस का तर्क है कि वो मैंटेनेंस के लिए ऐसा कर रहा है। बता दें कि यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।


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