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पंजशीर में पंगा लेना तालिबान को पड़ा महंगा, अफगान के 'शेरों' ने खूनी खेल में 700 तालिबानियों को किया ढेर, 600 लड़ाके कैद

Renuka Sahu
5 Sep 2021 1:45 AM GMT
पंजशीर में पंगा लेना तालिबान को पड़ा महंगा, अफगान के शेरों ने खूनी खेल में 700 तालिबानियों को किया ढेर, 600 लड़ाके कैद
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी प्रांत पंजशीर घाटी में तालिबान समूह और रेसिस्प्रटेंस फोर्स यानी प्रतिरोध बलों के बीच भयंकर लड़ाई जारी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्वी प्रांत पंजशीर घाटी में तालिबान समूह और रेसिस्प्रटेंस फोर्स यानी प्रतिरोध बलों के बीच भयंकर लड़ाई जारी है। बीते कई दिनों से जारी खूनी खेल के बीच शनिवार को पंजशीर के लड़ाकों से पंगा लेना तालिबान को महंगा पड़ गया और उसके करीब 700 से अधिक लड़ाके ढेर हो गए। पंजशीर के रेसिस्टेंस फोर्स (प्रतिरोध बलों) का दावा है कि शनिवार की लड़ाई में करीब 700 तालिबानी मारे गए तथा और 600 अन्य को कैद कर लिया गया। इससे पहले पजंशीर के नेता अहमद मसूद कहा था कि 'मर जाएंगे, लेकिन आत्मसमर्पण नहीं करेंगे'।

तालिबान सेना भारी नुकसान झेलने के बाद प्रांत से भाग रही है। पंजशीर प्रांत में प्रतिरोध बलों का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद ने एक ऑडियो संदेश में कहा कि 700 से अधिक तालिबान मारे गए और 600 अन्य पकड़े गए और कैद किए गए जबकि बाकी भागने की कोशिश कर रहे हैं। मसूद ने संदेश में कहा, 'हम अग्रिम पंक्ति में हैं, सब कुछ योजनाबद्ध था। हम पूरे प्रांत को नियंत्रित कर रहे हैं।'
गौरतलब है कि तालिबान विरोधी प्रतिरोध बलों के कमांडर अहमद मसूद ने पंजशीर को तालिबान के चंगुल से बचाने की कसम खाई है। उन्होंने शनिवार को अफगानिस्तान के खामा प्रेस से बात करते हुए कहा कि ईश्वर, न्याय और स्वतंत्रता के लिए हम अपने प्रतिरोध को कभी नहीं रोकेंगे। मसूद ने यह भी कहा कि पंजशीर में प्रतिरोध और अफगानिस्तान में महिलाओं के विरोध से संकेत मिलता है कि अफगान कभी भी अपने वैध अधिकारों के लिए लड़ना नहीं छोड़ा करते हैं।
एक फेसबुक पोस्ट में अहमद मसूद ने कहा कि हार तभी होती है जब आप अपने वैध अधिकारों के लिए लड़ाई छोड़ देते हैं और जब आप थक जाते हैं। मसूद ने तालिबान पर पंजशीर प्रांत में मानवीय आपूर्ति रोकने का आरोप लगाया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से पंजशीर में मानवीय सहायता की अनुमति देने के लिए तालिबान पर दबाव बनाने का भी आग्रह किया है। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था।


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