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झील से नाव के ऊपर आने के बाद यह आकर्षण का केंद्र बना, द्वितीय विश्व युद्ध से है कनेक्शन!

Neha Dani
2 July 2022 3:04 AM GMT
झील से नाव के ऊपर आने के बाद यह आकर्षण का केंद्र बना, द्वितीय विश्व युद्ध से है कनेक्शन!
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इसके परिणामस्वरूप हाल के दिनों में बिजली कटौती बढ़ी है. \

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से दुनियाभर में कई तरह के भौगोलिक और प्राकृतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इसी कड़ी में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में लीड मीड सिकुड़ रहा है और इसके परिणामस्वरूप नेवादा और एरिज़ोना के बीच स्थित जलाशय के पास दूसरे विश्व युद्ध के दौरान डूबी हुई एक नाव ऊपर आ गई है और उसका पूरा हिस्सा देखा जा सकता है. नाव के ऊपर आने के बाद यह आकर्षण का केंद्र बन गया है. इसे देखने के लिए आने वालों की भीड़ लग रही है.


लैंडिंग क्राफ्ट के रूप में हुई है नाव की पहचान
रिपोर्ट के मुताबिक, यह झील पिछले कुछ साल में सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुई है और इसका जल स्तर काफी नीचे चला गया है. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, नाव पानी की सतह से काफी नीचे थी. गोताखोर पर्यटन कंपनी लास वेगास स्कूबा के अनुसार, इस नाव की पहचान लैंडिंग क्राफ्ट के रूप में हुई थी और यह सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किए जाने के बाद डूब गई थी.

दूसरी बार हुई है इस तरह की घटना
बता दें कि यह दूसरी बार है जब जल स्तर नीचे जाने के कारण कोई वस्तु फिर से ऊपर उभरी है. इससे पहले मानव अवशेष के दो सेट इसी तरह ऊपर मिले थे. लेक मीड अमेरिका में मानव निर्मित सबसे बड़ा जलाशय है लेकिन इसमें गिरावट का दौर जारी है. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से चीजें और खराब होती जाएंगी.

सेना में नियमित रूप से होता था इस नाव का इस्तेमाल
लास वेगास रिव्यू जर्नल ने बताया कि लेक मीड में मिली नाव की पहचान न्यू ऑरलियन्स में हिगिंस इंडस्ट्रीज द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाई गई नाव के रूप में की गई थी. इन नावों का सेना द्वारा नियमित रूप से उपयोग किया जाता था और उनमें से कई का उपयोग 1944 में नॉरमैंडी में भी किया गया था. वहीं जलाशय के सूखने को लेकर अधिकारियों के लिए स्थिति चिंताजनक है और यूएस ब्यूरो ऑफ रिक्लेमेशन कमिश्नर केमिली टाउटन ने कहा कि विभाग इस पर गौर करेगा. जल स्तर में गिरावट ने एरिज़ोना-यूटा लाइन पर बिजली उत्पादन को भी प्रभावित किया है. क्षेत्र के आसपास के राज्य जलविद्युत में गिरावट से काफी प्रभावित हुए हैं और इसके परिणामस्वरूप हाल के दिनों में बिजली कटौती बढ़ी है.

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