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खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अफगानिस्तान में रहने वाले शिया मुस्लिमों को चेतावनी दी है कि
खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (Islamic State) ने अफगानिस्तान (Afghansitan) में रहने वाले शिया मुस्लिमों (Shia Muslims) को चेतावनी दी है कि वे जहां भी रहेंगे, उन्हें आतंकी हमलों का निशाना बनाया जाएगा. दो दिन पहले ही इस्लामिक स्टेट ने देश के कंधार प्रांत (Kandahar province) में जुमे की नमाज के दौरान एक शिया मस्जिद में आत्मघाती हमला (Shia Mosque Blast) किया. इस हमले में 60 से ज्यादा नमाजियों की मौत हो गई, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हुए. तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से ही इस्लामिक स्टेट ने देश के अलग-अलग हिस्सों को दहलाया है.
रविवार को प्रकाशित हुए खामा प्रेस न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक स्टेट ने एक बयान में धमकी दी कि शिया मुसलमान खतरे का सामना करेंगे और उन्हें हर जगह निशाना बनाया जाएगा. आतंकवादी समूह ने कहा, 'बगदाद से खुरासान तक, शिया मुसलमानों को हर जगह निशाना बनाया जाएगा.' इस्लामिक स्टेट के साप्ताहिक मैगजीन अल-नबा में ये चेतावनी पब्लिश की गई है. खामा प्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिया मुसलमानों को उनके घरों और केंद्रों में निशाना बनाया जाएगा. इसमें आगे कहा गया कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K) अफगानिस्तान में तालिबान शासित सरकार के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है.
कंधार में शिया मस्जिद में किया धमाका
वहीं, IS-K ने शनिवार को कंधार में इमाम बरगाह-ए-फातिमा मस्जिद (Imam Bargah-e-Fatima Mosque) में हुए विस्फोट के लिए जिम्मेदार होने की पुष्टि की. आत्मघाती हमलावर मस्जिद में घुसे, जहां जुमे की नमाज में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में नमाजी जुटे हुए थे. इस दौरान उन्होंने खुद को उड़ा लिया. घटना के बाद सामने आए वीडियो में फर्श पर शवों को पड़े हुए देखा गया और घायलों को अस्पताल ले जाते हुए देखा गया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हमले की कड़ी निंदा की. इसने आतंकवाद की इन घटनाओं के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें सजा दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
कुंदुज में भी मस्जिद को बम से दहलाया
पिछले एक हफ्ते में अफगानिस्तान में शिया मस्जिद पर हुए ये दूसरा बम हमला था. इससे पहले आठ अक्टूबर को, कुंदुज (Kunduz) में सैयद अबाद मस्जिद (Sayed Abad Mosque) में धमाका हुआ. इस हमले में 100 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. इस हमले की जिम्मेदारी भी IS-K ने ली. अगस्त में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही देश में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने के कई मामले देखने को मिले हैं. दूसरी ओर, तालिबान ने इस्लामिक स्टेट से लड़ाई में अमेरिका की मदद लेने से इनकार भी कर दिया है.
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