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तेल अवीव । इजराइल जर्मनी को ऐरो-3 मिसाइल डिफेंस सिस्टम देने वाला है। रॉयटर्स के मुताबिक, ये डील 29 हजार करोड़ रुपए में फाइनल हुई है। साथ ही ये इजराइल की अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस सेल होगी। ऐरो-3 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलिवरी 2025 से शुरू होगी जो 2030 तक पूरी होने की संभावना है।
ऐरो-3 मिसाइल सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि एक अलग होने वाले वॉरहेड की मदद से ये पृथ्वी के अटमॉस्फेयर के बाहर यानी स्पेस से भी बैलिस्टिक मिसाइल को रोक सकेगी। अमेरिका ने भी इस डील को मंजूरी दे दी है। दरअसल इस ऐरो-3 प्रोजेक्ट में अमेरिका इजराइल का पार्टनर है और इस डिफेंस सिस्टम को अमेरिका-इजराइल की मिसाइल डिफेंस एजेंसी ने मिलकर बनाया है।
2023 के अंत तक जर्मनी और इजराइल इस डील के लिए कॉन्टैक्ट साइन करेंगे। इसके लिए जर्मनी 5 हजार करोड़ का एडवांस पेमेंट करेगा। इजराइल मिसाइल डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन के हेड मोशे पटेल ने बताया कि अमेरिका का अप्रूवल इस डील का पहला मील का पत्थर है। अब कंपनी का टारगेट जल्द से जल्द मिसाइल सिस्टम की सप्लाई करना है। जर्मनी ने ऐरो-3 सिस्टम को खरीदने का फैसला यूक्रेन में रूस के आक्रमण को देखते हुए किया है। जर्मनी चाहता है कि वह अपनी हवाई सुरक्षा को ज्यादा मजबूत करे, जिससे जरूरत पडऩे पर दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमानों को इंटरसेप्ट कर मार गिराया जा सके। पश्चिमी देशों में अमेरिका को छोडक़र किसी भी देश के पास मजबूत और भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है।
इजराइल ने जनवरी 2022 में ऐरो-3 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की सफल टेस्टिंग की थी। ये न्यूक्लियर, केमिकल, बायो या किसी भी दूसरे हथियार को ले जाने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने में सक्षम है। इसके अलावा ये दूसरी बैलिस्टिक मिसाइलों को वायुमंडल के बाहर भी मार गिरा सकता है। डायवर्ट मोटर होने के साथ ये मिसाइल कभी भी अपनी दिशा बदल सकती है। इसकी रेंज 2,400 किमी है। इजराइल अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, ऐरो-3 मिसाइल सिस्टम को एंटी-सैटेलाइट वेपेन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये तकनीक दुनिया के कुछ देशों के पास ही मौजूद है।
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