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किसी इजरायली प्रधानमंत्री की यह पहली यूएई यात्रा है
इजरायल के प्रधानमंत्री नाफ्ताली बेनेट का सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जाएद अल नाह्यान ने सार्वजनिक स्वागत किया। अबूधाबी में इजरायली राजदूत ने कहा है कि दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में मुख्य मुद्दा ईरान का रहा। इसके अतिरिक्त द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने पर भी बेनेट और शेख मुहम्मद ने बात की। बेनेट अप्रत्याशित रूप से रविवार देर शाम अबूधाबी पहुंचे थे। किसी इजरायली प्रधानमंत्री की यह पहली यूएई यात्रा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयास से 2020 में दोनों देशों के संबंध स्थापित हुए हैं। ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने के प्रयासों से उपजी चिंता के बीच यूएई ने ईरान से संबंधों में सुधार की पहल भी की है। हाल ही यूएई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तेहरान का दौरा किया और राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी से मुलाकात की थी। लेकिन इस एक यात्रा से स्थितियां नहीं बदली हैं। ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम और उसकी आक्रामक गतिविधियों से पूरा खाड़ी जगत चिंतित है। ऐसे में खाड़ी देश इजरायल का मजबूत साथ चाह रहे हैं। ईरान के खिलाफ एकजुटता बढ़ाने के लिए ही बेनेट की यूएई यात्रा हो रही है।
बेनेट और शेख मुहम्मद की मुस्कुराते और हाथ मिलाते हुए फोटो जारी करके इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मुलाकात को ऐतिहासिक बताया है। सरकारी न्यूज एजेंसी वाम ने क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद के हवाले से कहा है कि इजरायली प्रधानमंत्री की यात्रा से मध्य-पूर्व में स्थिरता बढ़ेगी। साथ ही दोनों देशों में सहयोग बढ़ेगा और नागरिकों के हितों को मजबूती मिलेगी। इजरायली राजदूत अमीर हाएक ने ईरान पर दोनों नेताओं की वार्ता का ज्यादा ब्योरा देने से इन्कार कर दिया है। लेकिन इजरायल के आर्मी रेडियो ने कहा है कि प्रधानमंत्री बेनेट केवल ईरान के मुद्दे पर चर्चा के लिए अबूधाबी नहीं गए हैं।
वहां दोनों पक्षों में कई अहम मसलों पर भी चर्चा होगी। जिन अहम मसलों पर चर्चा होने की संभावना है उनमें रक्षा सहयोग भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को लेकर इजरायल चिंतित है। इसी के चलते प्रधानमंत्री बेनेट ने परमाणु समझौता पुनर्जीवित करने के लिए चल रही वार्ता प्रक्रिया को लंबा न खींचे जाने की अपील की है। अमेरिका और अन्य मित्र देशों से कहा है कि यूरेनियम संवर्द्धन के कार्य में जुटे ईरान को ज्यादा समय नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि ईरान जान-बूझकर वार्ता को लंबा खींच रहा है और परमाणु हथियार बनाने के करीब पहुंच रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक है।
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