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ISIS का 'जहन्नुम वाला चौक' बनी प्रेमी जोड़ों के लिए मीटिंग प्वाइंट

Rani Sahu
11 Nov 2021 8:28 AM GMT
ISIS का जहन्नुम वाला चौक बनी प्रेमी जोड़ों के लिए मीटिंग प्वाइंट
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सीरिया (Syria) में आईएसआईएस (ISIS) के शासन काल में ‘जहन्‍नुम वाला चौक’ कहा जाने वाला अल नैम स्‍क्‍वायर (Al-Naim square) चौक की तस्‍वीर आज पूरी तरह से बदल चुकी है

राका. सीरिया (Syria) में आईएसआईएस (ISIS) के शासन काल में 'जहन्‍नुम वाला चौक' कहा जाने वाला अल नैम स्‍क्‍वायर (Al-Naim square) चौक की तस्‍वीर आज पूरी तरह से बदल चुकी है. ये स्‍थान अब प्रेमियों, परिवारों और दोस्‍तों के बैठने का सबसे बेहतरीन ठिकाना बन चुका है. इस जगह की तस्‍वीर जैसी अब दिखाई दे रही है, वैसी सीरिया के शासन में नहीं थी. लोग यहां आने से भी डरते थे. यहां पर लोगों को फांसी दी जाती थी. यहां पर स‍रेआम कत्‍लेआम हुआ करता था. जिहादियों ने इसी चौक पर इस्‍लामिक शरिया कानून के तहत कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और कई के सिर काट दिए थे.

चौक पर बैठे 25 वर्षीय नादर अल हुसैन कहते हैं कि आईएसआईएस के शासन के दौर में हम यहां से गुजरने से भी डरते थे ताकि हमें खून और भयावहता न दिखाई दे. हुसैन बताते हैं कि उस दौरान मैंने कभी भी अपनी प्रेमिका से मिलने की हिम्मत नहीं की. हम केवल फोन पर बात करते थे, इस डर से कि हमें कोई सजा न मिल जाए. सीरिया में आईएसआईएस के खात्‍मे के दो साल बाद सबकुछ बदल गया है. इस चौक पर बीचोंबीच एक फव्‍वारा लगाया गया है और चोरों और धनुषाकार स्‍तंभी बनाए गए हैं. रात में ये चौक बहुरंगी लेजर लाइट से चमक उठता है और दुनिया के सामने दयनीय और डरावनी छवि को पीछे करते हुए चौक एक दुलर्भ आकर्षण में तब्‍दील हो जाता है.
यहां बैठे लोगों ने कहते हैं कि हम इस इलाके में आने से भी बचते थे क्‍योंकि हम यहां पर कटे हुए सिर को लटके हुए नहीं देखना चाहते थे. अहमद अल-हमद कहते हैं कि यह गोल चक्कर हमें उस त्रासदी की याद दिलाता है, जिसमें हम जी रहे थे. ये चौक हमें आज भी उस समय की दुखद यादों की ओर ले जाता है. आज गोल चक्‍कर हर तरफ से कैफे और रेस्तरां से घिरा हुआ है, जिससे यह परिवारों और जोड़ों के लिए समान रूप से एक लोकप्रिय स्थान बन गया है. 24 वर्षीय मनाफ कहते हैं, 'अल-नैम चौक नर्क से जन्नत में बदल गया है. यहां प्रेमी भी आते हैं. गोल चक्‍कर के चारों ओर, बच्चे बेंचों के बीच दौड़ते हैं जबकि पुरुष और महिलाएं बात करते हैं और तस्वीरें खींचते हैं.
आईएसआईएस के जाने के बाद से यहां पर बहुत कुछ बदल गया है. यहां पर केंद्रीय फव्वारे का निर्माण हो चुका है. फव्वारे के चारों ओर धनुषाकार स्तंभ बनाए गए हैं. गोल चक्‍कर के अंदर बेंच लगाई गईं हैं जिस पर लोग बैठकर बात करते हैं. रात के समय अलग-अलग रंगों की लेजर लाइटों से पूरा गोलचक्‍कर जगमागा उठता है.


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