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क्या बीते दिन की बात होने जा रही है ये थ्योरी? चौंकाने वाला किया गया दावा

Neha Dani
27 Jun 2022 11:58 AM GMT
क्या बीते दिन की बात होने जा रही है ये थ्योरी? चौंकाने वाला किया गया दावा
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प्रोफेसर की टीम स्तनप्रायी जीवों पर रिसर्च करती रहती है और समय समय पर इसके नतीजे किसी साइंस जर्नल में प्रकाशित किए जाते हैं.

लंबाई आमतौर पर आनुवांशिक संरचना पर निर्भर करती है. मतलब आप कितने छोटे या लंबे होंगे, यह आपके माता-पिता की लंबाई से निर्धारित होता है. इस बीच एक स्टडी में चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि अगर लोग समय नहीं चेते तो सभी की हाइट आने वाले वक्त में ज्यादा से ज्यादा साढ़ें तीन फिट तक सिमट जाएगी.

क्या बीते दिन की बात होने जा रही है ये थ्योरी?
माना जाता है कि अच्छी हाइट वालों की बढ़िया पर्सनालिटी होती है. ऐसे में सारे मां-बाप बचपन से ही अपने बच्चों की लंबाई के लिए फ्रिकमंद हो जाते हैं. लेकिन अब जो फैक्ट सामने आया है अगर वो सच साबित हुआ तो ये सब चर्चाएं बेमानी हो जाएंगी.

'जलवायु परिवर्तन से कम होगी लंबाई'

वैज्ञानिक रिसर्च में साबित हो चुका है कि मनुष्यों द्वारा कार्बन डाइ ऑक्साइ़ड का उत्सर्जन अपने चरम पर पहुंच चुका है. ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है. कुल मिलाकार तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के बुरे नतीजे सामने आने लगे हैं.

इस बीच एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी (University of Edinburgh) में जीवाश्म विज्ञान के एक प्रोफेसर स्टीव ब्रूसेट (Prof Steve Brusatte) को उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में जीवित रहने के बेहतर अवसर के लिए मनुष्य धीरे-धीरे सिकुड़ जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर तापमान वास्तव में तेजी से बढ़ता है तो इंसान बौना हो सकता है.


'द गार्जियन' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्च में प्रोफेसर ब्रूसेट ने होमोफ्लोरेसेंसिस का हवाला देते हुए कहा कि इंडोनेशिया के नजदीक एक द्वीप में हजारों साल पहले लोगों की लंबाई महज साढ़े तीन फिट थी. उन्होंने ये भी कहा कि पिछले साल सामने आए एक रिसर्च में साफ हो चुका है कि धरती के तापमान और शरीर के आकार के बीच सीधा संबंध होता है. इसलिए इस नए रिसर्च की रिपोर्ट ने उन लोगों की चिंता और बढ़ा दी है जो पहले से ही अपने बच्चों की हाइट के लिए तमाम जतन करते रहते हैं. गौरतलब है कि प्रोफेसर की टीम स्तनप्रायी जीवों पर रिसर्च करती रहती है और समय समय पर इसके नतीजे किसी साइंस जर्नल में प्रकाशित किए जाते हैं.


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