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क्या मृत तारा खा रहा है ग्रहों का एक तंत्र? पढ़ें ये खबर

Gulabi Jagat
23 Jun 2022 2:38 PM GMT
क्या मृत तारा खा रहा है ग्रहों का एक तंत्र? पढ़ें ये खबर
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क्या मृत तारा खा रहा है ग्रहों का एक तंत्र?
नरभक्षण इंसानों को खाने की दुर्लभ मामलों को कहा जाता है. सामान्य तौर पर इसे एक क्रूर घटना के तौर पर देखा जाता है जब एक ही प्रजाति का जीव अपनी ही प्रजाति के दूसरे जीव को खाता है. खगोलविदों ने अंतरिक्ष में एक अनोखी घटना देखी है जिसमें एक मृत तारा (Dead Star) पास के ग्रह तंत्र (Planetary System) के ग्रह बनाने वाले पथरीले पदार्थ के साथ बर्फीले पदार्थ दोनों ही एक साथ खा रहा है. यह पहली बार है जब खगोलविदों ने सफेद बौने तारे का इस तरह खगोलीय 'नरभक्षण' (Cosmic Cannibalism) देखा है.
दो तरह के पदार्थ
दोनों ही तरह के पदार्थ यानी पथरीले और बर्फीले पदार्थ के अवशेष सफेद बौने की सतह पर देखे गए हैं. यह अवलोकन हबल स्पेस टेलीस्कोप और धरती पर मौजूद नासा की अन्य वेधशालाओं ने किया है. प्रमाण दर्शाते हैं कि ये अवशेष ग्रह के आंतरिक और बाह्य दोनों ही हिस्सों के हैं.
अजीब और रोचक बात
इस पड़ताल में बर्फिले पिंडों की प्रमाण पाए जाना चौंकाने वाला है क्योंकि इसका अर्थ है कि ग्रह तंत्र के किनारों पर पानी की भंडार बहुत सामान्य रूप से मौजूद होंगे. इससे इस बात की संभावना भी बढ़ जाती है कि वहां जीवन के अनुकूल स्थितियां हो सकती हैं. इस तारे की मौत ने ग्रह तंत्र को इतने प्रचंड तरीके से तितर बितर किया है कि तारा सफेद बौने में बदला और वह ग्रह तंत्र के आंतरिक और बाह्य दोनों हिस्सों से अवशेष निगल रहा है.
पहली बार देखा ऐसा सफेद बौना
यह पहली बार है कि खगोलविदों ने किसी ऐसे सफेद बौने तारे को देखा है जो पथरीले धातु वाले और बर्फीले, ग्रहों के दोनों तरह के पदार्थ को निगल रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खगोलीय 'नरभक्षण' का पता लगाने के लिए हबल टेलीस्कोप और धरती पर स्थित नासा के दूसरी वेधशालाओं के आंकड़े बहुत जरूरी थे. इस पड़ताल के नतीजे विकसित हो रहे ग्रह तंत्रों की ज्वलंत तंत्र की प्रकृति की व्याख्या करने में सहायक हो सकता है. इससे खगोविद नए बनते तंत्रों के बारे में भी जानकारी निकाल सकेंगे.
पहली बार देखा गया ऐसा
इस पड़ताल के नतीजे पास के G238-44 नाम के सफेद बौने तारे के वायुमंडल के द्वारा पकड़े गए पदार्थों का विश्लेषण के आधार पर निकाले गए हैं. एक सफेद तारा वास्तव मे एक तारे के अवशेष से बना होता है जब तारे का नाभकीय संलयन का ईंधन खत्म हो जाता है. यूनिवर्सिटी लॉस एंजेलीस UCLA के स्नातक और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता टेड जॉनसन ने बताया कि एक सफेद तारे में इस तरह से दोनों तरह के पदार्थ पहली बार जाते देखे गए हैं.
ग्रह तंत्रों की समझने में मददगार
जॉनसन ने बतायाकि इन सफेद बौनों का अध्ययन कर शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वैज्ञानिकों को ग्रह तंत्रों की समझ बेहतर होगी जो अभी तक सही सलामत हैं. यह पड़ताल थोड़ी अजीब भी हैं क्योंकि छोटे बर्फीले पिंड सौरमंडल में सूखे पथरीले ग्रहों से टकराने के जाने जाते हैं. अरबों साल पहले धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों के कहा जाता है कि उन्होंने ही पृथ्वी पर पानी पहुंचाया था और जीवन के अनुकूल हालात बन सके थे.
पथरीले ग्रह वाले पदार्थ
जॉनसन ने बताया कि सफेद बौने में इन बर्फीले पदार्थों का जाना दर्शाता है कि बर्फीले पिंडों का ग्रह तंत्रों में होना सामान्य बात है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने सैकड़ों सफेद बौनों के अध्ययन के बाद पहली बार पाया है कि पथरीले ग्रहों पर पे जाने वाले कार्बन नाइट्रोजन और ऑक्सीजन वाले पदार्थ प्रचुरता में दिखे हैं.
यह अध्ययन ग्रह तंत्र के उस चरण को दर्शाता है जिसमें लाल विशाल तारा सफेद तारे में बदलता है. इसमें तारे की बाहरी परतें पहले खत्म होती हैं और ग्रहों की कक्षाएं नाटकीय तरीके से बदलती हैं. इसमें क्षुद्रग्रह और बौने ग्रह जैसे छोटे पिंड तारे की ओर चले जाते हैं. जिस तरह से ग्रह टूट कर इस नरभक्षण प्रक्रिया से पता चल सकता है कि वे किन पदार्थों से बने थे. नाइट्रोजन की प्रचुरता से बर्फीले पदार्थों की उपस्थिति का पता चला.
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