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IRGC ने टेस्ट कीं लॉन्ग-रेंज मिसाइल और ड्रोन, दुश्मनों के लिए बड़ी चेतावनी

Gulabi
17 Jan 2021 3:34 AM GMT
IRGC ने टेस्ट कीं लॉन्ग-रेंज मिसाइल और ड्रोन, दुश्मनों के लिए बड़ी चेतावनी
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दुश्मन देशों को दी धमकी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका के साथ लगातार जारी विवाद के बीच ईरान (Iran) के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने जमीन और समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ लॉन्ग रेंज मिसाइल और ड्रोन का अभ्यास किया है. ऐसा दो हफ्ते के भीतर चौथी बार किया गया है. शनिवार को आईआरजीसी ने लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल के साथ ये सैन्य अभ्यास किया, जिसकी मारक क्षमता 1800 किमी (1118 मील) तक है. इस दौरान सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये रही कि इसमें कृत्रिम लक्ष्य के तौर पर हिंद महासागर को चुना गया.


दुश्मन देशों को दी धमकी
इसे लेकर आर्म्ड फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बघेरी ने कहा, 'समुद्री लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों को चुनने से यह पता चलता है कि अगर इस्लामी गणतंत्र के दुश्मन हमारे राष्ट्रीय हितों, समुद्री व्यापार मार्गों या फिर हमारी जमीन की तरफ आते हैं, तो उन्हें इन मिसाइलों से निशाना बनाकर नष्ट किया जाएगा.
हमारा इरादा किसी तरह की आक्रामकता करना नहीं है लेकिन हम इस अभ्यास के जरिए इस बात की घोषणा करते हैं कि हमारे देश पर हमला करने वाले पर पूरी ताकत के साथ और कम समय में हमला किया जाएगा.'
पहले भी किया था अभ्यास
वहीं आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी ने कहा कि उनके सैन्य संगठनों के उद्देश्य में से एक है उस क्षमता को हासिल करना, जिसके जरिए विमान वाहक सहित 'दुश्मन युद्ध पोत' को निशाना बनाया जा सकेगा.
इससे पहले शुक्रवार को भी आईआरजीसी ने दर्जनों 'नेक्स्ट जनेरेशन' मिसाइल का रेगिस्तानी इलाकों में अज्ञात स्थानों से अभ्यास किया था. सरकारी टीवी के अनुसार, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव और देश के खिलाफ अमेरिका के दबाव के बीच यह अभ्यास किया गया.

अमेरिका-इजराइल के लिए खतरा
अभ्यास के पहले चरण में गार्ड के विमानन विभाग ने दुश्मन के आभासी बेस के खिलाफ जमीन से जमीन पर मार करने वाली कई मिसाइलें दागीं. उसमें कहा गया है कि ठोस ईंधन से संचालित अभ्यास में जुल्फागर और डेजफुल बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग किया गया है.

बमवाहक क्षमता के ड्रोन भी अभ्यास में शामिल थे. इसे लेकर कहा गया था कि ईरान की मिसाइलों की मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर तक है जो कि इजराइल और क्षेत्र में स्थित अमेरिकी सैन्य बेस तक पहुंचने की क्षमता रखती हैं


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