ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा है कि वे तेहरान के बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे क्षेत्रीय मिलीशिया के मुद्दे पर भी कोई वार्ता करना नहीं चाहते हैं। रईसी ने कहा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करना भी नहीं चाहते हैं। उनसे जब मुलाकात की संभावना पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'नहीं।'
इस बीच, रईसी से जब पूछा गया कि क्या 1988 में करीब पांच हजार लोगों के नरसंहार में वह संलिप्त थे तो उन्होंने खुद को 'मानवाधिकारों का रक्षक' बताया। रईसी उस तथाकथित 'मौत के पैनल' का हिस्सा थे जिसने 1980 के दशक के अंत में ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति के बाद राजनीतिक कैदियों को सजा दी थी। रईसी ने शुक्रवार को चुनाव में भारी बहुमत से जीत के बाद सोमवार को पहले संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा, ईरान के खिलाफ सभी कड़े प्रतिबंध वापस लेने के लिए अमेरिका बाध्य है। करीब एक घंटे तक चले संवाददाता सम्मेलन में पहले वह थोड़ा घबराए हुए दिखे लेकिन बाद में सामान्य हो गए।
ईरान के बैलेस्टिक कार्यक्रम और क्षेत्रीय मिलीशिया को उसके समर्थन के बारे में पूछे जाने पर रईसी ने कहा कि इन मुद्दों पर समझौता नहीं हो सकता है। व्हाइट हाउस ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हूथी और हिजबुल्ला पर जताया भरोसा
सऊदी अरब और इस्राइल जैसे दुश्मनों से संतुलन बनाए रखने के लिए ईरान, यमन के हूथी और लेबनान के हिज्बुल्ला जैसे क्षेत्रीय मिलिशया पर भरोसा करता है। रईसी ने उन पर भरोसा जताया है। तेहरान के पास 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले के लड़ाकू विमान हैं, इसलिए वह क्षेत्रीय अरब पड़ोसियों के खिलाफ मिसाइलों में निवेश कर रहा है। अरब देशों ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से अरबों डॉलर के हथियार खरीदे हैं।
विएना में जारी है वार्ता
इब्राहिम रईसी ने ऐसे समय में जीत हासिल की है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए 2015 में हुए समझौते को बचाने के मकसद से वियना में कई देशों की सरकार प्रयासरत है। रईसी की जीत ने इस समझौते के लिए चिंता की लकीरें खींच दी हैं। फिलहाल माना जा रहा है कि यह समझौता अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे।