जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव खत्म नहीं हो रहा है. अमेरिका ने भी ईरान पर कई और प्रतिबंध लगा दिए हैं. ईरान भी लगातार अमेरिका को जवाब देने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में ईरान की ओर से ओमान की खाड़ी में नौसेना अभ्यास के दौरान क्रूज मिसाइलें दागीं हैं. ईरान का कहना है कि दुश्मनों को क्रूज मिसाइलों के जरिए दिया जाएगा. लेकिन, ईरान के आंतरिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं.
ईरान में महंगाई की लगातार बढ़ती जा रही है और अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इकोनॉमी पिछले तीन साल में कुल 16.5 फीसदी तक कम हो गई है. इससे अब ईरान में रहने वाले उन लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ रही हैं, जो भूखें हैं और उन्हें समय पर खाने को भी नहीं मिल रहा है. पहले माना जा रहा था कि इस साल 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन अब अर्थशास्त्रियों ने इसे नकार दिया है. कई आर्थिक विश्लेषकों ने आगे आने वाले स्थितियों को विकास और प्रगति को खतरा माना है.
अभी कैसे हैं ईरान के हालात?
अर्थव्यवस्था के मामले में अभी ईरान के हालात काफी खराब बताए जा रहे हैं. जहां एक ओर महंगाई चरम पर है, वहीं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरान की करेंसी लगातार कमजोर होती जा रही है. अभी एक अमेरिकी डॉलर के बराबर करीब 42 हजार ईरानी रियान है. महंगाई की दर तक 40 फीसदी तक पहुंच गई है.
2020 के आखिरी महीनों में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अब ईरान में 40 फीसदी तक दर बढ़ गई है. यानी एक-डेढ़ साल पहले किसी भी चीज के जो प्राइज थे, वो अब 40 फीसदी तक बढ़ गए हैं. यहां तक कि कुछ सामानों के मूल्य में एक साल में 60 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है.
पिछले साल सितंबर में Iran Focus में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में 6 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. वहीं, देश की आबादी का एक तिहाई हिस्सा यानी 3 करोड़ लोग बेरोजगार हैं. हालांकि, अब लोकल ब्रांड में हल्की ग्रोथ देखने को मिल रही है, लेकिन अभी भी उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही है. कई जानकारों को कहना है कि अभी कोई भी उम्मीद नज़र नहीं आ रही है.
कैसे खराब हुए हालात?
वैसे तो ईरान 2008 के बाद से आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है. लेकिन, अमेरिका की ओर से लगाए गए कई तरह के प्रतिबंध के बाद से उसकी अर्थव्यवस्था को बीते ढाई साल में काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. अमेरिका द्वारा लगाये गए प्रतिबंधों के कारण ईरानी करेंसी की हालत ख़राब हुई है और ईरान में महंगाई बढ़ी है. 2018 से तो अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरानी करेंसी में काफी अंतर आ गया था. अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के बाद से ईरान को अन्य देशों की वजह से भी काफी फर्क पड़ा था.
क्या बाइडेन देंगे साथ?
अब देखना है कि बाइडेन किस तरह ईरान का साथ देते हैं और लगाए गए प्रतिबंधों को कम करते या नहीं. पहले अमेरिका और ईरान के बीच अच्छे संबंध थे. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दोनों के बीच तनाव की शुरुआत तेल को लेकर हुई. ईरान में भारी मात्रा में कच्चे तेल का भंडार मिला. इसे पाने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन ने ईरान में अपनी पसंद की सरकार लानी चाही. इसके बाद से अमेरिका ने तख्तापलट भी किया और फिर ईराक का साथ दिया. इस तरह अमेरिका और ईरान में लगातार तनाव बरकरार रहा.