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महान एयर की उड़ान के जरिए भी अफगानिस्तान तक मदद भेजी थी.
ईरान ने भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के चलते उसे एक ऐसा ऑफर दिया है, जिससे पाकिस्तान को झटका लगा है और उसकी अकड़ पलभर में चकनाचूर हो गई है. ईरान ने मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान तक गेहूं और दवा जैसी मदद पहुंचाने के लिए भारत का सहयोग करने की बात कही है. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन (Hossein Amir-Abdollahian) ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से फोन पर बात करते हुए मदद की पेशकश की. दोनों नेताओं के बीच शनिवार को फोन पर बातचीत हुई थी.
बातचीत ऐसे वक्त पर हुई है, जब भारत अफगानिस्तान में एक बार फिर मानवीय मदद पहुंचाने जा रहा है. बीते साल अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद लगातार तीसरी बार भारत की तरफ से मानवीय मदद पहुंचाई जा रही है. भारत और ईरान के नेताओं के बीच हुई बातचीत में अफगानिस्तान प्रमुख मुद्दा रहा है (India Support to Afghanistan). ईरान की तरफ से जानकारी आई है कि 'ईरान के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और उस देश को भारत की मानवीय सहायता का जिक्र करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में भारत की तरफ से भेजी जा रही गेहूं और दवा की खेप को पहुंचाने में ईरान पूरी तरह सहयोग करेगा.'
भारत ने पहले भी मदद पहुंचाई
इससे पहले बीते हफ्ते भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय मदद के तौर पर गेहूं से लेकर दवा तक, दो खेप भेजी थी (India Helping Afghanistan). पहली खेप 1 जनवरी को भेजी गई और दूसरी 7 जनवरी को भेजी गई. इसमें चिकित्सकीय तौर पर मदद भी शामिल है. भारत ने नवंबर 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के माध्यम से अफगानिस्तान को 1.6 टन चिकित्सा सहायता पहुंचाई थी. इस बातचीत के बाद जयशंकर ने ट्वीट में कहा, 'कोविड संकट, अफगानिस्तान में चुनौतियों, चाबहार की संभावनाओं और ईरानी परमाणु मुद्दे की जटिलताओं पर चर्चा की गई.'
चाबहार के जरिए मदद की गई
अब भविष्य में अफगानिस्तान को चाबहार बंदरगाह के जरिए मदद पहुंचाई जाएगी. बंदरगाह में भारत ने भारी निवेश किया है. 24 दिसंबर, 2018 को भारतीय कंपनी, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन (आईपीजीसीएफजेड) की सहायक कंपनी ने चाबहार बंदरगाह का संचालन संभाला था. दिसंबर 2018 से बंदरगाह पर 160 जहाजों, 14,420 टीईयू और 3.2 मिलियन टन थोक और सामान्य कार्गो का संचालन हुआ है. तालिबान के कब्जे से पहले भारत नियमित रूप से चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के माध्यम से अफगानिस्तान को राहत भेजता रहा है. यानी अब भारत आगे की मदद के लिए भी चाबहार का इस्तेमाल कर सकता है.
50,000 मीट्रिक टन गेहूं दिया
भारत ने अफगान लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, आवश्यक जीवनरक्षक दवाएं और कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराए हैं. भारत ने पाकिस्तान को भी प्रस्ताव भेजा था, ताकि इसके रास्ते से अफगानिस्तान को मदद पहुंचाई जा सके (India Help in Afghanistan). पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह आपूर्ति की आवाजाही की अनुमति देगा, लेकिन इसके लिए कुछ भी नहीं किया गया. यहां तक कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद हस्तांतरण के तौर-तरीकों पर लगातार चर्चा कर रहे हैं. ईरान की बात करें, तो वह अफगानिस्तान से 920 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. भारत ने ईरान की महान एयर की उड़ान के जरिए भी अफगानिस्तान तक मदद भेजी थी.
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