यूक्रेन युद्ध में ईरान अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका से खौफनाक बदला ले रहा है और ईरानी ड्रोन का इस्तेमाल कर रूसी सेना ने पिछले चंद दिनों में जो तबाही मचाई है, उसने राष्ट्रपति बाइडेन को परेशान कर दिया है। सबसे मुश्किल बात ये है, कि ईरानी ड्रोन को रोकने का हथियार अभी तक यूक्रेन के पास है ही नहीं और पश्चिमी देशों से ईरानी ड्रोन को रोकने वाले सिस्टम को यूक्रेन पहुंचने में कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। एक वक्त जब रूस को यूक्रेन में तगड़ा नुकसान हो रहा था, उस वक्त ईरान ने रूस के हाथ में बारूद बरसाने वाला ऐसा हथियार थमा दिया है, जिसके आगे यूक्रेनी सेना बेदम नजर आ रही है।
बहुत पुरानी है, लेकिन कहावत ये सटीक है, कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है और यूक्रेन की राजधानी में बम गिराने वाले ईरानी ड्रोनों ने सशक्त सबूत दिया है, कि तेहरान और क्रेमलिन, एक दुर्लभ, मगर तेजी से करीबी सहयोगी बन गये हैं। ईरान और रूस, दोनों एक दूसरे को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की पेशकश कर रहे हैं, जिसकी दोनों को जरूरत है और ईरान रूस को हथियार दे रहा है, जिसकी रूस में कमी है।
ईरान और रूस के बीच कोई गहरा प्रेम नहीं है और ईरान दशकों से दुनिया के सबसे रणनीतिक रूप से अलग-थलग राष्ट्रों में से एक रहा है। लेकिन, रूस के साथ उसकी दोस्ती मजबूत होने की कई वजहें हैं। दोनों देश पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत घिरे हुए हैं और दोनों का सामूहिक दुश्मन अमेरिका है और दोनों ही देशों में सत्तावादी ताकतें सत्ता के शिखर पर हैं और दोनों ही देशों में दिखावटी लोकतंत्र है। वाशिंगटन स्थित कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के ईरान विशेषज्ञ करीम सज्जादपुर ने कहा, "यह दो उलझे हुए तानाशाहों के बीच सुविधा की साझेदारी है।"
ईरान और रूस... दोनों देश गहरे संकट में हैं और आर्थिक और राजनीतिक रूप से दुनिया में संघर्ष कर रहे हैं। ईरान सड़क पर हिजाब विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश कर रहा है, जो इस्लामिक सरकार के लिए वर्षों में सबसे गंभीर चुनौती बन गया है, जबकि रूस लड़खड़ाते युद्ध के प्रयास और एक अलोकप्रिय मसौदे पर बढ़ते असंतोष से निपटने की कोशिश कर रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मॉस्को-तेहरान गठबंधन के उभरने के कई अंतर्राष्ट्रीय वजहें हैं और ईरान का मकसद अपने ऊपर लगने वाले परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिए एक नए समझौते की संभावनाओं को कम करना और युद्ध में यूक्रेन का पक्ष लेने के लिए ईरान के दुश्मन इजरायल पर दबाव बढ़ाना है।
रूस और ईरान के बीच संबंध वर्षों से विकसित हो रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तेहरान के लंबे समय से सहयोगी रहे राष्ट्रपति बशर असद के शासन के पतन को रोकने के लिए 2015 से सीरिया में अपनी वायु सेना तैनात कर रखी है। वहीं, रूस और ईरान ने सैन्य रूप से लॉक स्टेप में काम किया, रूसी युद्धक विमानों ने ईरानी मिलिशियामेन और ईरानी प्रॉक्सी बलों को जमीन पर लड़ने के लिए कवर प्रदान किया है।