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ईरान ने हथियार प्रतिबंध हटते ही बताया अपना इरादा, अपनी जंगी ताकत को ऐसे करेगा इस्तेमाल

Kunti Dhruw
26 Oct 2020 2:19 PM GMT
ईरान ने हथियार प्रतिबंध हटते ही बताया अपना इरादा, अपनी जंगी ताकत को ऐसे करेगा इस्तेमाल
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प रिषद की ओर से हथियारों के व्यापार को लेकर ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध बीती 18 अक्तूबर को स्वत: ही समाप्त हो गए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प रिषद की ओर से हथियारों के व्यापार को लेकर ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध बीती 18 अक्तूबर को स्वत: ही समाप्त हो गए हैं। यह प्रतिबंध करीब 10 साल पहले साल 2015 में हुई एक संधि की शर्त में शामिल थे। ईरान ने दुनिया के छह बड़े देशों से यह समझौता किया था, हालांकि अमेरिका साल 2018 इससे पीछे हट गया था।

बहरहाल, अब जब ईरान पर लगे प्रतिबंध हट गए हैं तो इसे यूएन में अमेरिका पर तेहरान की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि पिछले कुछ समय से अमेरिका ईरान पर लगे इन प्रतिबंधों को और आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में पैरवी कर रहा था।

प्रतिबंध हटने के बाद ईरान ने कहा है कि अब उसका हथियार खरीदने से ज्यादा बेचने का इरादा है। इनमें टैंक, बख्तरबंद वाहन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और भारी सैन्य उपकरण शामिल हैं। इस सबके बीच जानने योग्य बात यह है कि इन प्रतिबंधों का हटना दुनिया के लिए क्या मायने रखता है।

इंस्टीट्यूट फॉर पीस रिसर्च एंड सिक्योरिटी पॉलिसी के बर्लिन कार्यालय में कार्यरत एक वरिष्ठ शोधकर्ता ओलिवर मीयर कहते हैं कि भले ही हथियारों की खरीद-बिक्री पर से प्रतिबंध हट गए हैं। परंतु वास्तविक तौर पर देखा जाए तो इनका आंशिक प्रभाव ही पड़ेगा। क्योंकि ईरान के लिए हथियारों के अधिकांश आपूर्तिकर्ता अपनी प्रतिबंधात्मक हथियार-निर्यात नीतियों को जारी रखेंगे।

बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने 14 अक्तूबर को कहा था कि ईरान अब अपने हथियार किसी भी देश को बेचने में सक्षम हो जाएगा, साथ ही किसी भी देश से हथियार खरीदन सकेगा। उन्होंने कहा कि हम चार साल तक इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ लड़े। जबकि अमेरिका चाहता था कि यह दिन कभी ना आए।

इसके लिए उसने एड़ी चोटी का जोर तक लगाया हुआ था। परंतु हमारे राजनयिकों के प्रयासों के लिए धन्यवाद, जिन्होंने अमेरिका के प्रयासों को विफल कर दिया। ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने ट्विटर पर लिखा कि आज का दिन ईरान के लिए दुनिया के साथ रक्षा सहयोग, बहुपक्षवाद और शांति और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक तरह की जीत वाला दिन है।

19 अक्तूबर को ईरानी रक्षा मंत्री आमिर हातमी ने एस-400 प्रणाली, टी-90 टैंक, उन्नत एसयू-57 स्टील्थ फाइटर-जेट और कई मिसाइल प्रणालियों की खरीद पर चर्चा करने के लिए मास्को के लिए उड़ान भरी थी।

हालांकि हातमी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरान जितने हथियार खरीदेगा उससे अधिक हथियार बेचने का इरादा रखता है। ईरानी सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि कम समय में अधिक हथियार खरीदने की उसकी कोई योजना नहीं है।

ईरान अब वह सैद्धांतिक रूप से हथियार खरीद सकता है तो सबसे पहले 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले के सैन्य हथियारों की डेटिंग करेगा। इसके साथ ही अपने स्वयं के बनाए गए हथियारों को दूसरे देशों को बेचने पर जोर देगा।

जाहिर है, तेहरान की सरकार रूसी और चीनी आपूर्तिकर्ताओं से पारंपरिक हथियार खरीदने जल्दबाजी नहीं करेगी। ईरान का रक्षा बजट अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में काफी कम है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस इंस्टीट्यूट का कहना है कि तेहरान का रक्षा बजट 732 अरब, सऊदी अरब का 61.9 अरब और इस्राइल का 20.4 अरब अमेरिकी डॉलर है।

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