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पाकिस्तानी रुपया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहे, ईरान और तुर्की की करेंसी

Neha Dani
16 Nov 2021 10:33 AM GMT
पाकिस्तानी रुपया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहे, ईरान और तुर्की की करेंसी
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इसमें कम उत्पादकता, सीमित निर्यात विकल्प, उच्च आयात निर्भरता और बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दे होते हैं.

पाकिस्तानी रुपया (Pakistani rupee) महीनों से अंतरबैंक मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है. स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह गिरावट इमरान खान (Imran Khan) सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि यह बताता है कि देश एक गहरी आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है. शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 175.73 पर बंद हुआ. 14 मई और 1 जुलाई के बाद से रुपये में क्रमश: 13.34 फीसदी और 10.35 फीसदी की गिरावट आई है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी अक्टूबर की शुरुआत में 19.2 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 17.3 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का ऋण कार्यक्रम को फिर से शुरू करने में देरी भी पड़ोसी मुल्क की मदद नहीं कर रही है. वहीं, इस साल अब तक तुर्की लीरा (Turkish lira) में एक चौथाई से अधिक की गिरावट आई है, जिससे यह इस वर्ष उभरते बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला बन गया है. इसने पांच वर्षों में अपने मूल्य का दो-तिहाई खो दिया. इससे तुर्की (Turkey) के लोगों की आय में गिरावट हुई है और मुद्रास्फीति में तेजी आई है.
शुक्रवार तक, तुर्की का लीरा अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले 9.975 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. पिछले हफ्ते के दौरान, ईरान के रियाल में भी 2.8 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे पिछले 6 महीने में ये गिरकर 31.5 फीसदी पर हो गया है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन द्वारा परमाणु समझौते से बाहर निकलने के बाद ईरान (Iran) की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है.
पाकिस्तान की बढ़ेगी मुसीबत
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) के आयात पर प्रतिबंध और खुले बाजार में डॉलर की खरीद के बावजूद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया गिर रहा है. पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, चूंकि कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही है, ऐसे में आने वाले वक्त में रुपये के ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना नहीं है. अंतरराष्ट्रीय बांड बाजारों के माध्यम से डॉलर जुटाने के लिए IMF के साथ एक सौदा महत्वपूर्ण है.
पाकिस्तान सरकार को अपने चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिए पाकिस्तानियों द्वारा बाहर से भेजे जाने वाले पैसे पर निर्भर रहना जारी रहेगा और पिछले उधार के माध्यम से बनाए गए भंडार से पैसे तक तक धीमी रफ्तार से कम करने होंगे, जब तक की ताजा उधार कहीं से मिल नहीं जाता है.
इसलिए बढ़ी इन मुल्कों की चिंता
सामान्य परिस्थितियों में, मुद्रा में हो रही गिरावट चिंता की कोई बात नहीं होती है. उच्च मुद्रास्फीति और अन्य आर्थिक कारकों के कारण, मुद्राएं लगातार अपनी कीमतों को नीचे की ओर धकेल देती हैं. इससे देश के निर्यात को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहने में मदद मिलती है, घरेलू उत्पादन बढ़ता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है. हालांकि, मुद्रा में होती भारी गिरावट, जैसा कि पाकिस्तानी रुपये के साथ हो रहा है. ये दिखाता है कि देश अधिक गहरी समस्यायों का सामना कर रहा है. इसमें कम उत्पादकता, सीमित निर्यात विकल्प, उच्च आयात निर्भरता और बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दे होते हैं.


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