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ऐसे में आज इस अवसर पर उनके काम की सराहना की जा रही है.
हर साल 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे मनाया जाता है. इसे फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की वर्षगांठ के तौर पर मनाया जाता है. फ्लोरेंस नाइटिंगेल विश्व की पहली नर्स थीं. उन्होंने क्रीमियन युद्ध के दौरान लालटेन लेकर घायल ब्रिटिश सैनिकों की देखभाल की थी. यही वजह है कि उन्हें 'लेडी विद द लैंप' भी कहा जाता है. इस साल का थीम 'ए वॉयस टू लीड- ए विजन फॉर फ्यूचर हेल्थकेयर' पर आधारित है.
उन्होंने खुद की परवाह किए बिना मरीजों की निस्वार्थ भाव से सेवा की. उन्हें ट्रिब्यूट देने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है. एक मोर्चे पर उन्होंने कई महिलाओं को नर्स की ट्रेनिंग दी तो दूसरी तरफ सैनिकों का इलाज भी किया. इस तरह अपनी सेवा भाव के जरिए विक्टोरियन संस्कृति में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी. उन्हें 'लेडी विद द लैंप' के नाम से पहचान मिली. फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई, 1820 को हुआ था. साल 1965 में इस दिन को पहली बार उत्सव के रूप में मनाया गया था. इस दिन उत्कृष्ट काम करनेवाली नर्सों को पुरस्कृत किया जाता है.
जानिए इस दिन क्या होता है खास
फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार में 50 हजार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है. हर साल इसे सेलिब्रेट करने के लिए अलग अलग थीम डिसाइड किए जाते हैं. इस साल पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में डॉक्टरों के साथ साथ नर्स भी जान जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज कर रही हैं. वे कई कई दिन अपने परिवार से दूर रहकर मरीजों का इलाज कर रही हैं. ऐसे में आज इस अवसर पर उनके काम की सराहना की जा रही है.
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