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मँहगाई दर: महंगाई की मार से कोई देश बचा नहीं है, जानिये कहां कितनी है मुद्रास्फीति दर

Kajal Dubey
15 Jun 2022 12:34 PM GMT
मँहगाई दर: महंगाई की मार से कोई देश बचा नहीं है, जानिये कहां कितनी है मुद्रास्फीति दर
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अमेरिका में मुद्रास्फीति की दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। चूंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जो होता है, उससे सारी दुनिया प्रभावित होती है, इसलिए अमेरिका की महंगाई की चर्चा हर जगह पर है। लेकिन महंगाई की मार सिर्फ अमेरिकावासियों पर ही नहीं पड़ रही है। यह असल में इस वक्त सारी दुनिया की कहानी है।
जर्मनी के बैंक- ड्यूश बैंक के एक ताजा अध्ययन से यह सामने आया है कि महंगाई किस तरह सारी दुनिया भर में फैल गई है। ड्यूश बैंक ने 111 देशों के मुद्रास्फीति आंकड़ों के आधार पर अपनी विश्लेषण रिपोर्ट पेश की है। उसके हिसाब से अमेरिका महंगाई की मार झेल रहे देशों के इंडेक्स में मध्य में आता है। यानी बहुत से ऐसे देश हैं, जहां महंगाई की दर वहां से बहुत ज्यादा है।
सालभर पहले औसत दर तीन फीसदी
ड्यूश बैंक के मुताबिक 111 देशों की मुद्रास्फीति दर का अगर औसत निकाला जाए, तो यह 7.9 फीसदी बैठता है। साल भर पहले ये औसत दर तीन फीसदी थी। मई में पश्चिम यूरोप के देशों में महंगाई तेजी से बढ़ी। नीदरलैंड्स में ये दर साल भर पहले की तुलना में 8.8 फीसदी और जर्मनी में 7.9 फीसदी हो गई। फ्रांस में स्थिति कुछ बेहतर (5.8 प्रतिशत) रही, लेकिन बाल्टिक देशों में तो यह लगभग 20 फीसदी के करीब पहुंच गई।
अमेरिका के लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वहां महंगाई का प्रमुख कारण ईंधन का महंगा होना है। अमेरिका में साल भर पहले की तुलना में ऊर्जा आज 35 फीसदी महंगी है। लेकिन ब्रिटेन में ऊर्जा महंगाई की दर 51 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
जानकारों के मुताबिक अगर अमेरिका और यूरोप की महंगाई को ध्यान में रखें, तो एशिया में ट्रेंड राहत पहुंचाने वाला मालूम पड़ता है। चीन में मई में मुद्रास्फीति दर सिर्फ 2.1 फीसदी रही। जापान में ये दर 2.5 फीसदी रही। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान के सेंट्रल बैंक ने महंगाई दर को दो फीसदी तक सीमित रखने का फैसला किया था। फिर वहां वेतन लगभग स्थिर हैं। इसलिए ढाई फीसदी की महंगाई भी उपभोक्ताओं को चुभ रही है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक विश्लेषण में बताया है कि चीन ने कोरोना महामारी के समय अपेक्षाकृत कम रकम प्रोत्साहन पैकेज पर खर्च की। उसका फायदा अब उसे मिल रहा है।
लेकिन पूर्वी एखिया की एक और प्रमुख अर्थव्यवस्था दक्षिण कोरिया खुद को महंगाई की मार से नहीं बचा पाया है। वहां मई में ये दर 5.4 फीसदी तक चली गई। इसे देखते हुए दक्षिण कोरिया सरकार ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है।
तुर्की और अर्जेंटीना में सबसे ज्यादा
इस बीच एक अजूबा देश तुर्किये है। वहां मई में मुद्रास्फीति दर 74 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर रही। इसके बावजूद वहां के राष्ट्रपति रजिब तैयिब एर्दोआन ने ब्याज दर में कटौती की नीति पर चलने का एलान किया है। तुर्किये के बाद महंगाई की सबसे ऊंची दर अर्जेंटीना में है, जहां यह 58 फीसदी पर है। लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के ज्यादातर देशों में इस समय मुद्रास्फीति दर दो अंकों में है।
अब जानकारों की नजर अनाज और ईंधन के विश्व बाजार पर है। उनमें आम सहमति है कि जब तक इन चीजों के दाम नहीं घटते, दुनिया को महंगाई के मौजूदा दौर से निज़ात नहीं मिल सकेगी।
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