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ढाई साल बाद आज से शुरू होगी भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल आयोग की बैठक

Neha Dani
23 March 2021 3:04 AM GMT
ढाई साल बाद आज से शुरू होगी भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल आयोग की बैठक
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इसके तहत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में जाने का भी विकल्‍प दिया गया है।

तीन साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल बंटवारे को लेकर आज से स्थायी आयोग की बैठक हो रही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने बैठक की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है 2019 में पुलवामा कांड के बाद से भारत-पाक संबंध एकदम निचले स्‍तर पर पहुंच गए थे। इसके चलते दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत एकदम बंद हो गई थी। इसी क्रम में सिंधु जल आयोग की बैठक भी नहीं हो सकी। लेकिन मंगलवार से जल बंटवारे पर बातचीत का दौर शुरू होने से दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलनी शुरू हो जाएगी। हालांकि, दोनों देशों की सरकारें पिछले कुछ हफ्तों से संबंध सामान्य बनाने के प्रयास कर रही हैं। आइए जानते हैं कि क्‍या है सिंधु जल समझौता। जल बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में तल्‍खी क्‍यों आई है। जल बंटवारे को लेकर पाकिस्‍तान के दावे का क्‍या है सच। क्‍या है सिंधु जल आयोग।

आखिर क्‍या है सिंधु जल समझौता
इसके तहत सिंधु नदी की सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया है। सतलुज, ब्यास व रावी को पूर्वी नदी में रखा गया है, जबकि झेलम, चिनाब और सिंधु पश्चिम की नदियां हैं। रावी, ब्यास और सतलुज नदी का पानी भारत के हिस्से में गया तो सिंधु, झेलम और चिनाब का 80 फीसद पानी पाकिस्तान के हिस्से में। इस समझौते के तहत पश्चिमी नदियों के पानी का हक भारत को भी दिया गया। मसलन जैसे बिजली निर्माण या कृषि के क्षेत्र में नदियों के जल के उपयोग का अधिकार दिया गया।
किसी भी बाधा या समस्‍या के समाधान के लिए इसके तहत एक स्थायी सिंधु आयोग के गठन का प्रस्‍ताव था। दोनों मुल्‍क के कमिश्नर समय-समय पर एक दूसरे से मिलेंगे और समस्‍याओं पर बात करेंगे। यह व्‍यवस्‍था बनाई गई कि अगर आयोग समस्या का हल नहीं ढूंढ़ पाते हैं तो सरकारें उसे सुलझाने की कोशिश करेंगी। इसके अलावा विवादों का हल ढूंढने के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की मदद लेने का प्रविधान किया गया। इसके तहत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में जाने का भी विकल्‍प दिया गया है।


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