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इंडोनेशिया ने जासूसी विमानों से जुड़ा अमेरिका का ठुकराया प्रस्ताव, चीन के लिए राहत की खबर

Tara Tandi
20 Oct 2020 5:15 PM GMT
इंडोनेशिया ने जासूसी विमानों से जुड़ा अमेरिका का ठुकराया प्रस्ताव, चीन के लिए राहत की खबर
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इंडोनेशिया ने अमेरिका का वह प्रस्ताव ठुकरा दिया है, जिसमें उसने अपने पी-8 पोसाइडन समुद्री निगरानी जहाजों को लैंड करने और ईंधन भरने की अनुमति मांगी थी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| इंडोनेशिया ने अमेरिका का वह प्रस्ताव ठुकरा दिया है, जिसमें उसने अपने पी-8 पोसाइडन समुद्री निगरानी जहाजों को लैंड करने और ईंधन भरने की अनुमति मांगी थी। यह जानकारी इंडोनेशियाई सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को दी।

अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने जुलाई और अगस्त में इंडोनेशिया के रक्षा और विदेश मंत्रियों के सामने कई बार उच्च स्तरीय पहुंच के साथ यह मांग की थी। लेकिन, राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इस मांग को खारिज कर दिया।

इस संबंध में जकार्ता में स्थित अमेरिकी दूतावास, अमेरिकी विदेश विभाग प्रेस कार्यालय और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति व रक्षा मंत्री के प्रतिनिधियों ने कोई टिप्पणी नहीं की। अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रतिनिधियों और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री रेटनो मारसुडी ने इस बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया।

अधिकारियों ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने प्रभाव के लिए अमेरिका और चीन के बीच बढ़े तनाव के कारण आए इस प्रस्ताव से इंडोनेशिया सरकार हैरान थी। इंडोनेशिया लंबे समय से तटस्थ विदेश नीति का पालन करता आया है। इंडोनेशिया ने कभी भी विदेशी सेनाओं को अपने यहां गतिविधियां करने की अनुमति नहीं दी है।

बता दें कि अमेरिका का पी-8 विमान दक्षिण चीन सागर में चीन की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने में अहम भूमिका निभाता है। चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा जताता है। वहीं, वियतनाम, मलयेशिया, फिलीपींस और ब्रुनेई इस जल क्षेत्र पर अपने दावे करते हैं, जहां से हर साल तीन ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है।

हालांकि, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस जल मार्ग पर इंडोनेशिया औपचारिक दावेदार नहीं है, लेकिन दक्षिण चीन सागर के एक हिस्से को वह अपना मानता है। इसने नियमित रूप से चीनी तट रक्षक जहाजों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं को एक क्षेत्र से खदेड़ा है, जिसे बीजिंग ऐतिहासिक रूप से अपना बताता है।

लेकिन इसके साथ ही इंडोनेशिया और चीन के बीच आर्थिक और निवेश संबंधी जुड़ाव बढ़े हैं। ऐसे में वह इस विवाद में किसी का पक्ष नहीं लेना चाहता है और दो वैश्विक ताकतों के बीच बढ़े विवाद और दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण से चिंतित है।

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