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SCO की एंटी टेरर एक्‍सरसाइज में भारत की दस्‍तक, क्‍या है एससीओ संगठन

Neha Dani
3 Oct 2021 10:26 AM GMT
SCO की एंटी टेरर एक्‍सरसाइज में भारत की दस्‍तक, क्‍या है एससीओ संगठन
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ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मुद्दा हो। ये मुद्दे भारत और एससीओ दोनों के लिए अहम हैं।

शंधाई सहयोग संगठन की एंटी टेरर एक्‍सरसाइज पाकिस्‍तान में होगी। इसमें भारत भी हिस्‍सा ले रहा है। खास बात यह है कि यह एंटी टेरर एक्‍सरसाइज ऐसे समय हो रही है, जब भारत के संगठन के सदस्‍य देशों पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्‍ते चल रहे हैं। इस तनाव के चलते पहले इसमें भारत की हिस्‍सेदारी को लेकर संशय बना हुआ था। ऐसे में यह जिज्ञासा लोगों के जेहन में हो रही होगी कि आखिर एससीओ क्‍या है ? इसका गठन कब हुआ ? इसका मकसद क्‍या है ? भारत को इससे क्‍या हासिल होगा ?

शरुआत में शंघाई फाइव के नाम से जाना जाता था संगठन
दरअसल, वर्ष 1996 में शंघाई में हुई बैठक में चीन रूस, कजाकिस्‍तान, किर्गिस्‍तान और ताजिकिस्‍तान आपस में एक दूसरे के नस्‍लीय और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। तब इसे शंघाई फाइव के नाम से जाना जाता था। हालांकि, एससीओ का जन्‍म 15 जून, 2001 को हुआ, तब चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना की और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया।
एक बड़े प्रभावी संगठन के रूप में हुआ उदय
1996 में शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर जब इसकी शुरुआत हुई थी तब सिर्फ इसका एकमात्र उद्देश्‍य यह था कि मध्‍य एशिया के नए आजाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर तनाव को कैसे रोक जाए। धीरे-धीरे सीमाओं में सुधार और उसके निर्धारण की प्रक्रिया पूरी की गई। शंघाई में यह मकसद स‍िर्फ तीन साल में ही हासिल कर लिया गया। इसके चलते इसे बड़ा प्रभावी संगठन माना जाने लगा। अपना उद्देश्‍य हासिल करने के बाद इसमें उज्‍बेकिस्‍तान को जोड़ा गया। वर्ष 2001 में एक नए संस्‍थान की तरह शंघाई को-आपरेशन आर्गनाइजेशन का गठन हुआ।
2001 में ऊर्जा आपूर्ति और आतंकवाद बना प्रमुख एजेंडा
वर्ष 2001 में इस संगठन के उद्देश्‍यों में बदलाव आया। इस संगठन का लक्ष्‍य सदस्‍य देशों के बीच ऊर्जा आपूर्ति से जुड़े मसलों पर ध्‍यान देने के साथ आतंकवाद के खिलाफ संयुक्‍त रूप से लड़ना बन गया। स्‍थापना के बाद से ही इन मुद्दों की प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है। संगठन के शिखर सम्‍मेलन में इन पर लगातार वार्ता होती है। गत वर्ष के शिखर सम्‍मेलन में यह तय किया गया था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए तीन साल का एक्‍शन प्‍लान बनाए जाए।
एससीओ और भारत
वर्ष 2017 में भारत एससीओ का पूर्णकालिक सदस्‍य बना। वर्ष 2005 से उसे पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्‍त था। वर्ष 2017 में एससीओ की 17वीं शिखर बैठक में इस संगठन के विस्‍तार की प्रक्रिया के एक महत्‍वपूर्ण चरण के तहत भारत और पाकिस्‍तान को सदस्‍य देश का दर्जा दिया गया। इसके साथ संगठन के सदस्‍य देशों की संख्‍या आठ हो गई।
मौजूदा समय में एससीओ के आठ सदस्य देशों में चीन, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज्‍बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं। इसके अलावा चार आब्जर्वर देश अफगानिस्‍ता, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं। छह डायलाग सहयोगी अर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं। एससीओ का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है। एससीओ में चीन, रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है।
एससीओ को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। भारतीय हितों की जो चुनौतियां हैं, चाहे वो आतंकवाद हों, ऊर्जा की आपूर्ति या प्रवासियों का मुद्दा हो। ये मुद्दे भारत और एससीओ दोनों के लिए अहम हैं।

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