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चीन-पाकिस्‍तान की जुगलबंदी पर अफगानिस्तान में भारत की पैनी नजर, जानें तालिबान को लेकर रणनीति

Kunti Dhruw
18 Aug 2021 6:24 PM GMT
चीन-पाकिस्‍तान की जुगलबंदी पर अफगानिस्तान में भारत की पैनी नजर, जानें तालिबान को लेकर रणनीति
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चीन-पाकिस्‍तान की जुगलबंदी पर अफगानिस्तान में भारत की पैनी नजर

नई दिल्ली। अफगानिस्तान को लेकर भारत की भावी रणनीति तय करने में चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी की भी बड़ी भूमिका होगी। इस्लामिक आतंकी संगठन तालिबान को लेकर चीन का रवैया इस बार पूरी तरह बदला हुआ है। वह न सिर्फ तालिबान के साथ संपर्क स्थापित कर चुका है बल्कि इस बात का संकेत दे चुका है कि उसे तालिबान की सत्ता को मान्यता देने में कोई परेशानी नहीं है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि तालिबान को लेकर भारत सरकार की भावी रणनीति क्‍या होगी...?

अभी वेट एंड वॉच की रणनीति
भारत चीन और तालिबान के सीधे संबंधों से ज्यादा इन दोनों को करीब लाने में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे पाकिस्तान को लेकर सशंकित है। इसलिए भारत अभी अफगानिस्तान में तालिबान, पाकिस्तान और चीन के बीच संबंधों की तासीर को देखकर अपनी नीति तय करेगा।
बेहद उत्‍साहित हैं चीन और पाकिस्‍तान
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि तालिबान को लेकर पाकिस्तान और चीन सबसे ज्यादा उत्साहित हैं। बुधवार को भी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर विमर्श हुआ जिसमें अफगानिस्तान के हालात को लेकर चर्चा हुई।
चीन पहले ही कर चुका है मुलाकात
चीन के विदेश मंत्री पहले ही राष्ट्रपति पद की दौड़ में तालिबान की तरफ से सबसे आगे चल रहे नेता मुल्ला बरादर से मुलाकात कर चुके हैं। अगर तालिबान उम्मीद के मुताबिक वहां सरकार बना लेता है तो उसे सबसे पहले ये दोनों देश ही मान्यता देंगे। पाकिस्तान के बाद चीन दूसरा देश है जिसने उम्मीद जताई है कि तालिबान अफगानिस्तान के सभी पक्षों को प्रतिनिधित्व देगा।
पड़ोसियों की गतिविधियों पर बारीक नजर
दुनिया के तमाम देश जहां अपने दूतावास बंद कर रहे हैं, वही चीन ने कहा है कि उसका दूतावास सामान्य तौर पर काम करता रहेगा। चीन के इस रवैये पर भारत बारीक नजर रखे हुए हैं। प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक बह्म चेलानी का कहना है कि अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश काफी दूर बसे हुए हैं। अब जबकि अफगानिस्तान पर आतंकियों का कब्जा हो चुका है तो भारत चीन-पाकिस्तान के रणनीतिक घेरे में आ चुका है।
चुनौतियों पर चुप्‍पी
तालिबान के आने के बाद भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के रिश्ते और मजबूत होंगे। दुख की बात है कि भारत में इन भावी चुनौतियों को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है। एक अन्य कूटनीतिक एवं रणनीतिक विश्लेषक विक्रम सूद कहते हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपने इशारे पर नाचने वाला राष्ट्र बना लेगा। चीन की बीआरआइ परियोजना का विस्तार अफगानिस्तान तक हो जाएगा।
इसलिए चीन है गदगद
अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी से चीन को अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना (बीआरआइ) को नया प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। पिछले कुछ समय से भारत और अमेरिका समेत कई देशों ने चीन की तरफ से दूसरे देशों में चलाई जा रहीं ढांचागत परियोजनाओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। खास तौर पर चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर (सीपीईसी) को अब अफगानिस्तान से जोड़ा जा सकता है।
खनिज संपदा पर चीन की गिद्ध दृष्टि
चीन की मंशा अफगानिस्तान में भी दूसरे देशों की तरह भारी-भरकम परियोजनाएं शुरू करने की है। इन परियोजनाओं को बलूचिस्तान की ग्वादर परियोजना से जोड़ा जा सकता है। सनद रहे कि भारत सीपीईसी का विरोध करने वाला सबसे पहला देश है। इस परियोजना का एक बड़ा हिस्सा गुलाम कश्मीर से गुजरता है जो भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग है। अफगानिस्तान कई तरह के खनिजों के मामले में काफी संपन्न है जिसका अभी तक खनन नहीं किया गया है। माना जाता है कि चीन की नजर इस पर भी है।
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