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UN सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट पर भारत की दावेदारी: बुश, ओबामा और ट्रंप की राह पर बाइडन बोले- भारत को सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट मिले

Renuka Sahu
27 Sep 2021 3:27 AM GMT
UN सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट पर भारत की दावेदारी: बुश, ओबामा और ट्रंप की राह पर बाइडन बोले- भारत को सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट मिले
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फाइल फोटो 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा कई मायनों में खास रहा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का अमेरिका दौरा कई मायनों में खास रहा. इस दौरे से UN सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट पर भारत की दावेदारी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) प्रशासन का रुख भी स्पष्ट हो गया है. पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप की राह पर चलते हुए जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत की है.

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि सभी क्वॉड मेंबर देश इस बात पर सहमत हैं. इसके अलावा कई और देश हैं, जो भारत को सिक्योरिटी काउंसिल के स्थायी सदस्य के तौर पर देखना चाहते हैं.
UNSC में पहली बार समुद्री सीमा पर बात हुई
श्रृंगला ने कहा कि भारत को स्थायी सदस्यता मिलने पर UNSC में नए मुद्दों पर चर्चा हुई. सिक्योरिटी काउंसिल की पिछली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री सुरक्षा का मसला उठाया था. पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने UNSC में संबोधन दिया था. बैठक में समुद्री सुरक्षा पर सफल डिबेट कराई गई थी.
भारत कब-कब रहा सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य
भारत 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985, 1991-1992 और 2011-2012 के दौरान 7 बार सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य रह चुका है. भारत का आठवां कार्यकाल 1 जनवरी 2021 को शुरू हुआ है, जो 31 दिसम्बर 2023 तक चलेगा.
UNSC में क्या है सिस्टम?
UN सिक्योरिटी काउंसिल में 15 सदस्य देश होते हैं. अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन 5 स्थायी देशों में शामिल हैं. 10 अस्थायी देश हर 2 साल में बदलते रहते हैं. 193 देश वोटिंग के जरिए इन 10 देशों का चुनाव करते हैं. इस वक्त गैबॉन, घाना, UAE, अल्बानिया, ब्राजील, भारत, आयरलैण्ड, केन्या, मेक्सिको और नॉर्वे UNSC के अस्थायी देश हैं. इसमें अल्बानिया एकमात्र ऐसा सदस्य देश है, जो पहले कभी भी सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं रहा है. (एजेंसी इनपुट के साथ)


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