भारत में बढ़ते रसोई गैस के दामों के चलते कई गरीब परिवार फिर से खाना पकाने के पारंपरिक ईंधनों का रुख कर रहे हैं. ये ईंधन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माने जाते हैं इसलिए बढ़ते एलपीजी दामों को लेकर चिंता जताई जा रही है.भारत में पिछले एक साल में एलपीजी सिलेंडर की तेजी से बढ़ती कीमतें कई घरों पर भारी पड़ रही हैं. भारत के ज्यादातर राज्यों में एलपीजी सिलेंडर का दाम 900 रुपये से भी ज्यादा हो गया है, जो करीब 1 साल पहले 600 रुपये हुआ करता था. यानी एक साल में 50 फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोत्तरी. चूंकि इस दौरान मई 2020 से ही सिलेंडर भरवाने पर सब्सिडी नहीं मिल रही इसलिए यह खर्च कई घरों को फिर से लकड़ी, कोयले या गोबर के उपलों की ओर लौटने पर मजबूर कर रहा है. काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) नामकी संस्था ने यह जानकारी दी है. गरीब परिवारों को एलपीजी गैस मुहैया कराने की केंद्र सरकार की उज्जवला योजना को 5 साल हो चुके हैं. इस दौरान सरकार ने 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने की बात कही है. इतने ही समय में भारत में एलपीजी वितरकों की संख्या भी करीब 18 हजार से बढ़कर 25 हजार को पार कर गई है.
कई स्वतंत्र संस्थान उज्जवला योजना का आकलन कर इसके फायदे गिना चुके हैं लेकिन लगातार बढ़ते रसोई गैस के दाम इन अच्छे प्रभावों को फिर खतरे में डाल रहे हैं. गरीब आबादी वाले राज्य सबसे प्रभावित ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी 2019 के मुताबिक हर साल वायु प्रदूषण के चलते भारत में 6 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं. उज्जवला जैसी योजनाओं के चलते इसमें सुधार की आशा थी लेकिन रसोई गैस के ऊंचे दामों से यह आशा धूमिल हुई है. सीईईडब्ल्यू के मुताबिक, अब भी 30 फीसदी भारतीय घर बायोमास जैसे लकड़ी, कोयला और गोबर के उपलों पर ही निर्भर हैं. अन्य 24 फीसदी एलपीजी के साथ इन ईंधनों का उपयोग भी करते हैं. सीईईडब्ल्यू में रिसर्च एनलिस्ट सुनील मणि के मुताबिक खाना पकाने के ईंधन के तौर पर बायोमास का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर घर ग्रामीण इलाकों में हैं. खासकर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडीशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों के कई परिवार अब भी खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला और गोबर के उपलों पर निर्भर हैं. साथ ही शहरी इलाकों की झुग्गी बस्तियों में भी इन ईंधनों का जमकर इस्तेमाल होता है. कुल कमाई का 10 फीसदी रसोई गैस पर सुनील मणि सुझाव देते हैं कि वायु प्रदूषण पर असर को कम करने के लिए कम कमाई वाले घरों के लिए एलपीजी रीफिल पर सब्सिडी को बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि अभी के दामों पर एक औसत भारतीय परिवार को अपनी कुल कमाई का करीब 10 फीसदी केवल रसोई गैस पर खर्च करना पड़ रहा है. पिछले एक साल में रसोई गैस पर होने वाला उनका खर्च दोगुना हो गया है.