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सिंगापुर, (आईएएनएस)| सिंगापुर में भारतीय मूल के एक व्यक्ति को दो बांग्लादेशी नागरिकों के साथ मिलकर इमारतों में घुसने और तांबे के तार और बिजली के तार चुराने की साजिश रचने के आरोप में 42 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। चैनल न्यूज एशिया ने बताया कि ओम शक्ति तिवारी ने मिया शोबस और जन शक मोहब्बत के साथ 2020 में खाली जूनियर कॉलेजों में सेंध लगाई, जहां से उन्होंने रीसाइक्लिंग दुकान पर बेचने के लिए तार और बिजली के केबल चुराए।
अदालत को बताया गया कि जनवरी 2020 में तिवारी ने दोनों आरोपियों को अपनी वैन से रात में खाली पड़े जुरोंग जूनियर कॉलेज (जेजेसी) तक पहुंचाया। तिवारी गाड़ी पर इंतजार कर रहे थे, तब मिया और जन ताला तोड़कर कॉलेज में दाखिल हुए। कटर से तारों को काटने के बाद उन्हें बांध दिया और वैन में डालकर तिवारी उसे लेकर चला गया।
चैनल ने बताया कि तिवारी ने बाद में रीसाइक्लिंग की दुकानों पर तार बेच दिए और पैसे को तीन लोगों में बांट दिया। तिवारी ने एक रिसाइकलर को 994 किलो बिजली के केबल 3,976 सिंगापुर डॉलर में बेचे, और 773 किलो के केबल उसी दुकान को 3,976 सिंगापुर डॉलर में बेचे, जिसे तीनों ने अप्रैल 2020 में टैम्पाइन्स जूनियर कॉलेज से चुराया था।
डकैती का पता तब चला जब एक तकनीशियन ने पावर ट्रिप की शिकायत मिलने पर 20 जनवरी, 2020 को जेजेसी में जांच की। उन्होंने पाया कि कॉलेज के मुख्य उपभोक्ता स्विच रूम से 20,000 सिंगापुर सिंगापुर डॉलर मूल्य के लगभग 1,000 मीटर तांबे के तार गायब थे। उसके बाद पुलिस जांच में जुट गई।
जन की पहचान पुलिस ने डकैती स्थल पर एक बोतल पर छोड़ी गई लार के डीएनए विश्लेषण के माध्यम से की थी, मिया को कैमरे की फोटों के माध्यम से खोजा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चश्मदीदों ने तिवारी की गाड़ी को जहां चोरी हुई वहां देखा और पुलिस ने वहां से उसकी पहचान की। उप लोक अभियोजक ओंग शिन जी ने चैनल न्यूज एशिया के हवाले से कहा कि दोनों परिसरों में चोरी हुए बिजली के तारों को बहाल करने की कुल लागत 1.24 मिलियन सिंगापुर डॉलर थी।
मिया ने मंगलवार को चोरी करने के लिए घर में सेंध लगाने के चार आरोपों को स्वीकार किया। अदालत ने जन को 34 महीने की जेल की सजा सुनाई, जबकि तिवारी को 42 महीने की सजा सुनाई गई। मिया पर 23 दिसंबर को सजा सुनाया जाएगा। वह अदालत में वापस आएगा जब अन्य 10 आरोपों पर विचार किया जाएगा।
--आईएएनएस
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