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फिलहाल वह हीथ्रो हवाई अड्डे पर काम करता है।
काबुल में तालिबान की वापसी के बाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हजारों अफगान जमा हो गए हैं। सोमवार को कुछ वीभत्स तस्वीरें सामने आई जिसमें लोगों को अमेरिकी सैन्य जेट से चिपकते और लटकते हुए देखा गया। अपने ही देश से भागने की कोशिश कर रहे लोग किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं। कुछ लोगों ने एयरक्राफ्ट के पहियों में छिपकर भागने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में कम से कम दो लोगों को आसमान से गिरते हुए देखा गया।
दुनियाभर में दर्ज 113 लिखित मामले
तालिबान से बचकर भाग रहे कई लोगों की मौत पहियों के पास छिपकर बैठने के चलते हो गई। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी ने विमान के व्हील वेल (लैंडिंग गियर कंपार्टमेंट) के अंदर छिपकर किसी फ्लाइट में यात्रा करने की कोशिश की हो। इस तरह का रिस्क लेने के चलते अब तक 80 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। US Federal Aviation Administration के मुताबिक 1947 से 2015 के बीच 113 लिखित मामले सामने आए जिनमें 86 लोगों की मौत हो गई।
जीवित बच गया भारतीय शख्स
ज्यादातर मामलों में लोग आसमान से गिर गए और लैंडिंग या टेक-ऑफ के दौरान मारे गए। दूसरे मामलों में लोग अत्यधिक ठंडे तापमान और ऊंचाई पर कम वायुमंडलीय दबाव पर हाइपोथर्मिया और हाइपोक्सिया के चलते मारे गए। इन मामलों में जीवित बच गए शख्स का मामला दुनिया में दर्ज किया अपनी तरह का पहला मामला था।
प्रदीप सैनी नाम का यह शख्स एक भारतीय व्यक्ति था। अक्टूबर 1996 में, प्रदीप और उनके छोटे भाई विजय सैनी नई दिल्ली में एक ब्रिटिश एयरवेज बोइंग 747 के व्हील बे में छिप गए थे, जो लंदन हीथ्रो की ओर जा रहा था।
भारत से भागे थे दोनों भाई
सिख अलगाववादी समूह के सदस्य होने का आरोप लगने के बाद पंजाब के कार मैकेनिक भाइयों ने भारत से भागने की कोशिश की थी। इस उड़ान में 22 वर्षीय प्रदीप जीवित बच गया वहीं 18 साल के विजय की मौत हो गई। जैसे ही विमान हीथ्रो में उतरने के लिए तैयार हुआ, उसका जमा हुआ शरीर नीचे गिर गया। -60 डिग्री सेल्सियस का तापमान और ऑक्सीजन की कमी के बावजूद प्रदीप 40,000 फीट की ऊंचाई पर 4,000 मील की यात्रा के दौरान जीवित बच गया।
डॉक्टरों के मुताबिक, टेक ऑफ के तुरंत बाद प्रदीप का शरीर सस्पेंडेड ऐनिमेशन की स्थिति में चला गया, जो हाइबरनेशन जैसा है। प्रदीप को रनवे पर एयरलाइन के कर्मचारियों ने पकड़ डिटेंशन सेंटर भेज दिया था। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया और वह अपने परिवार के साथ लंदन हवाईअड्डे पर बस गया। फिलहाल वह हीथ्रो हवाई अड्डे पर काम करता है।
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