सम्पादकीय

भारतीय अर्थव्यवस्था: व्यापार घाटा बढ़ा सकता है मुश्किलें

Neha Dani
10 May 2022 1:43 AM GMT
भारतीय अर्थव्यवस्था: व्यापार घाटा बढ़ा सकता है मुश्किलें
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उसके तहत पाम ऑयल का रकबा और पैदावार बढ़ाने के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास करने होंगे।

हाल ही में प्रकाशित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की रिपोर्ट में यूक्रेन संकट के कारण चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में दुनिया में व्यापार घाटा बढ़ने के मद्देनजर वैश्विक व्यापार वृद्धि पूर्व निर्धारित 4.7 फीसदी से घटकर तीन फीसदी रहने की बात कही गई है। ऐसे में भारत में भी व्यापार घाटा तेजी से बढ़ने की आशंका है, लेकिन उसके पास निर्यात बढ़ाकर और आयात घटा कर व्यापार घाटे को नियंत्रित करने का एक अवसर भी है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जैसे-जैसे कच्चे तेल, खाद्य तेल और उर्वरकों के वैश्विक दामों में इजाफा हो रहा है, वैसे-वैसे भारत का विदेश व्यापार घाटा भी तेजी से बढ़ रहा है। कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं। जहां भारत कच्चे तेल की अपनी कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात करता है, वहीं वह खाद्य तेल की कुल जरूरतों का करीब 65 फीसदी आयात करता है। ऐसे में इन दोनों सबसे बड़ी आयात मदों और चीन से बढ़ते आयातों ने भारत के व्यापार घाटे को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
दो मई को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी विदेश व्यापार के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले माह अप्रैल में जहां देश का आयात 26.6 फीसदी बढ़कर 58.3 अरब डॉलर रहा, वहीं निर्यात 24.2 फीसदी बढ़कर 38.2 अरब डॉलर रहा। परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह में ही व्यापार घाटा 20.1 अरब डॉलर की चिंताजनक ऊंचाई पर पहुंच गया। गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192 अरब डॉलर रहा है। बढ़े हुए व्यापार घाटे के कारण देश में आर्थिक-वित्तीय मुश्किलें बढ़ गई हैं।
उल्लेखनीय है कि देश से वर्ष 2021-22 में कृषि उत्पादों और मसालों के अधिकतम निर्यात का सुकूनदेह परिदृश्य भी उभरकर दिखाई दिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, कोविड-19 की आपदाओं के बीच जहां भारत ने वैश्विक स्तर पर दुनिया के जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं उसने फरवरी, 2022 के बाद रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में कृषि उत्पादों की निर्यात मांग को पूरा करने के अवसर का लाभ उठाते हुए वर्ष 2021-22 में 50 अरब डॉलर मूल्य के रिकॉर्ड कृषि निर्यात किए हैं।
निस्संदेह देश से बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए एक ओर हमें आयात घटाने होंगे तथा दूसरी ओर निर्यात बढ़ाने होंगे। व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए चीन से व्यापार घाटा कम करना होगा। इस समय आजादी के 75वें साल में जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता और चीनी सामान के आयात को नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया अभियान और अधिक उत्साहजनक रूप से आगे बढ़ाए जाने की जरूरत दिखाई दे रही है। स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान में तेजी लाकर व्यापार घाटे में कमी की जी सकती है।
चूंकि कच्चे तेल के आयात से व्यापार घाटा बढ़ रहा है, इसलिए अब कच्चे तेल के देश में अधिक उत्पादन और इसके विकल्पों पर भी शीघ्रतापूर्वक ध्यान देना होगा। देश के पास जो विशाल तेल भंडार है, उससे वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की वर्तमान कीमतों की तुलना में चार-पांच गुना कम लागत पर कच्चे तेल का दोहन किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से उपयोग करने की रणनीति पर भी आगे बढ़ा जा सकता है। खाद्य तेल भी देश के आयात बिल की प्रमुख मद है, इसलिए इसके उत्पादन के लिए भी रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। खासतौर से तिलहन के उत्पादन को बढ़ाकर खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) लागू किया गया है, उसके तहत पाम ऑयल का रकबा और पैदावार बढ़ाने के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास करने होंगे।

सोर्स: अमर उजाला

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