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श्रीलंका नहीं जाएगी भारतीय सेना, उच्चायोग ने तमाम मीडिया रिपोर्टों को किया खारिज
Renuka Sahu
11 July 2022 1:01 AM GMT
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फाइल फोटो
श्रीलंका में महीनों से जारी आर्थिक संकट ने शनिवार को जन विद्रोह का रूप ले लिया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका में महीनों से जारी आर्थिक संकट ने शनिवार को जन विद्रोह का रूप ले लिया। देश की सरकार से तंग आ चुके आम लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोलने के बाद प्रधानमंत्री आवास को आग के हवाले कर दिया। ऐसे में इस खबर ने जोर पकड़ा की भारत स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपने सैनिक श्रीलंका भेजेगा। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने उन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिनमें भारतीय सैनिकों के पड़ोसी देश में भेजने की बात कही गई थी।
श्रीलंका नहीं जाएगी भारतीय सेना
भारतीय उच्च आयोग ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि भारत द्वारा श्रीलंका में अपनी सेना भेजने के बारे में रिपोर्टों का वो स्पष्ट रूप से खंडन करता है। ये रिपोर्ट और इस तरह के विचार भी भारत सरकार की स्थिति के अनुरूप नहीं हैं। इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रविवार को स्पष्ट किया कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका के लोग लोकतांत्रिक साधनों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति चाहते हैं। ऐसे में भारत के लिए श्रीलंकाई लोगों का हित सबसे पहले है।
श्रीलंका में गंभीर खाद्य संकट की आशंका
गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के इस्तीफे के लिए सहमत होने के बावजूद, प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन से जाने के लिए सहमत नहीं हैं। वर्ष 1948 में आजादी हासिल करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में तेल की अभूतपूर्व कमी के कारण स्कूलों और सरकारी कार्यालयों को अगली आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं, घरेलू कृषि उत्पादन में कमी, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और स्थानीय मुद्रा में गिरावट ने स्थिति को और अधिक गंभीर बना दिया है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के नवीनतम खाद्य असुरक्षा आंकलन के अनुसार, श्रीलंका के 62 लाख से ज्यादा परिवार गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
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