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महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे कई भारतवंशी अमेरिकी डॉक्टरों ने कोरोना वायरस टीके की खुराक ली है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे कई भारतवंशी अमेरिकी डॉक्टरों ने कोरोना वायरस टीके की खुराक ली है और दूसरों को भी टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया है। भारतवंशी डॉक्टरों ने कहा है कि जान बचाने के लिए टीका कारगर उपाय है और वैज्ञानिकों के इस ''उपहार'' से कोविड-19 के खिलाफ जंग में दुनिया को जीत मिलेगी।
अमेरिका में एक सप्ताह पहले टीकाकरण अभियान शुरू किया गया और देश में फाइजर-बायोएनटेक और मॉर्डना के टीके को मंजूरी दी गयी है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुरेश रेड्डी ने पीटीआई को बताया, ''हम सबको टीका लेना चाहिए। यह बहुत प्रभावी है और हम इसके अच्छे नतीजे देख रहे हैं। जान बचाने के लिए टीका कारगर उपाय है और हम सबको इसे लेना चाहिए।''
रेड्डी ने फाइजर टीके की खुराक ली और उन्होंने कहा कि किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं देखने को मिला। अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए हैं और सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक देश में सोमवार तक संक्रमण के 1.80 करोड़ से ज्यादा मामले आ चुके हैं।
टेक्सास में काम करने वाले डॉक्टर जयेश शाह ने भी फाइजर के टीके की खुराक ली। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को परास्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो जाएगा तो इससे 'हर्ड इम्युनिटी' बनाने में मदद मिलेगी। टेक्सास मेडिकल एसोसिएशन के ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य और साउथ टेक्सास वुंड एसोसिएट्स के अध्यक्ष शाह ने कहा, ''टीका सबके लिए वैज्ञानिकों की ओर से दिया गया उपहार है।''
टीके को लेकर आशंकाओं को दूर करते हुए शाह ने कहा, ''टीके पर लगातार काम चलता रहता है। भले ही इसे कम समय में तैयार किया गया हो लेकिन इसके लिए बहुत समय और संसाधन लगाए गए हैं। दूसरी बीमारियों के लिए टीका तैयार करने जैसे ही मानकों का इस्तेमाल किया गया है।''
हृदय रोग विशेषज्ञ और 'बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका' के अध्यक्ष डॉ. अविनाश गुप्ता ने भी टीके की खुराक ली। फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आलोक कुमार गुप्ता ने टीका लेने की एक तस्वीर को ट्वीट किया ।
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