भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी महत्वपूर्ण है : केरेन डोनफ्राइड
दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने आपदा को अवसर में तब्दील करते हुए लगातार रूसी तेल आयात किया है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तो भारत की इस विदेश नीति की जमकर तारीफ भी कर चुके हैं. लेकिन कुछ देश ऐसे भी थे जो भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे थे. अब अमेरिका ने उन तमाम मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है. जोर देकर कहा गया है कि भारत पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगने वाला है.
अमेरिकी विदेश विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी (यूरोपीय और यूरेशियन मामले) केरेन डोनफ्राइड ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाले हैं. भारत के साथ हमारे रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं. हम भारत के उस कदम का भी स्वागत करते हैं जहां पर उसकी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता दी गई थी. जिस तरह से भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की अपील की थी, उस बयान का भी स्वागत किया जाना चाहिए. अब ये बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि युद्ध के बीच रूसी तेल का आयात एक बड़ा मुद्दा बन गया था. अमेरिका क्योंकि रूस को आर्थिक तौर पर पूरी तरह कमजोर करना चाहता था, ऐसे में उसकी तेल सप्लाई पर चोट करना उसका अहम उदेश्य था.
लेकिन बात जब भारत पर आई, तो प्रतिबंध लगाने से ज्यादा उस रिश्ते को तवज्जो दी गई है जो पिछले कुछ सालों में और मजबूत हुए हैं. अमेरिका ने अपने इस एक बयान से साफ कर दिया है कि वो भारत का साथ नहीं छोड़ सकता है. वो अपने कुछ नियम बदल सकता है, लेकिन भारत को खुद से अलग नहीं होने दे सकता. वैसे भारत को लेकर तो अमेरिका ने नरमी दिखाई है, लेकिन रूस पर उसका तल्ख रुख बरकरार है. रूस की नीयत पर सवाल उठाते हुए अमेरिका के ऊर्जा संसाधन विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी जियोफ्रे पयाट ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति ने जिस तरह से तेल और गैस संसाधनों को भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया है, उसके बाद वो विश्वनीय तेल सप्लायर तो नहीं बन सकता है.