वीजा ओवरस्टेयर्स पर कार्रवाई को लेकर भारत ब्रिटेन व्यापार समझौता टूटने की कगार पर
वर्ल्ड अफेयर्स: ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन द्वारा वीजा ओवरस्टेयर्स पर कार्रवाई को लेकर की गई टिप्पणियों से भारत सरकार के नाराज होने के बाद भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कथित तौर पर टूटने की कगार पर है। ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को यह दावा किया गया। 'द टाइम्स' अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि भारत ब्रेवरमैन द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणी से 'हैरान और निराश' है। गृह मंत्री ने एफटीए के तहत भारत के लिए 'खुली सीमाओं' की पेशकश किए जाने पर चिंता जताई थी। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एफटीए के लिए इस साल दिवाली तक की समयसीमा तय की थी। हालांकि, अब इस समय तक समझौता होने की संभावना कम होती जा रही है।
समाचार पत्र ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि ''अभी भी काफी सद्भाव है, लेकिन ब्रिटेन सरकार में शामिल कुछ व्यक्ति अभी भी बने रहे, तो यह बातचीत टूट सकती है।'' पोलिटिको की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दीवाली तक ब्रिटेन की यात्रा की कोई भी योजना अब आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। पिछले हफ्ते भारतीय मूल की गृह मंत्री ब्रेवरमैन ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें डर है कि भारत के साथ व्यापार समझौते से ब्रिटेन में आने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ सकती है, जबकि पहले से ही वीजा ओवरस्टेयर्स के सबसे बड़े समूह के रूप में भारतीय शामिल हैं।
भारत के साथ खुली सीमाओं वाली आव्रजन नीति को लेकर आपत्ति: ब्रेवरमैन
ब्रेवरमैन ने साप्ताहिक समाचार पत्रिका द स्पेक्टेटर को बताया कि "मुझे भारत के साथ खुली सीमाओं वाली आव्रजन नीति को लेकर आपत्ति है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि लोगों ने इसके लिए ब्रेक्जिट के पक्ष में मतदान किया था।'' भारत-यूके एफटीए के तहत छात्रों और उद्यमियों के लिए वीजा में लचीलेपन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे कुछ आपत्तियां हैं। इस देश में प्रवासियों को देखें, तो ओवरस्टे करने वाले लोगों का जो सबसे बड़ा समूह है, वे भारतीय प्रवासी हैं। इस संबंध में बेहतर सहयोग को प्रोत्साहित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए हमने पिछले साल भारत सरकार के साथ एक समझौता भी किया था। लेकिन जरूरी नहीं कि इसने बहुत अच्छा काम किया हो। ब्रेवरमैन ने पिछले साल मई में गृह मंत्रालय में अपने पूर्ववर्ती भारतीय मूल की पूर्व गृह मंत्री प्रीति पटेल और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच प्रवासन और मोबिलिटी साझेदारी (एमएमपी) का उल्लेख करते हुए यह बात कही।
लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इसका जवाब देते हुए कहा कि एमएमपी के तहत उससे संदर्भित सभी मामलों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। यूके सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने 'द टाइम्स' को बताया कि मोबिलिटी भारत की प्रमुख मांग रही है और इसके अलावा अन्य जैसे वित्तीय सेवाएं, बैंकिंग, शिक्षा, व्हिस्की के उत्पत्ति के नियम आदि मोबिलिटी पर ही निर्भर करता है। और सुएला ने उसी मोबिलिटी की मांग पर सवाल उठा दिए हैं।