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भारत ने 2022 में चीन में विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों की मेजबानी का किया समर्थन, जानें क्‍या है US का स्‍टैंड

Gulabi
30 Nov 2021 1:52 PM GMT
भारत ने 2022 में चीन में विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों की मेजबानी का किया समर्थन, जानें क्‍या है US का स्‍टैंड
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भारत और चीन सीमा विवाद के बीच भारत ने 2022 में चीन में विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों की मेजबानी का समर्थन किया
भारत और चीन सीमा विवाद के बीच भारत ने 2022 में चीन में विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों की मेजबानी का समर्थन किया है। इसको लेकर चीन काफी गदगद है। उधर, अमेरिका की ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह मानवाधिकारों के उल्‍लंघन के मामले में इस अंतरराष्‍ट्रीय खेल आयोजन का बह‍िष्‍कार कर सकता है। ऐसे में भारत का यह समर्थन उसके लिए बड़ा मायने रखता है। गौरतलब है कि चीन अगने वर्ष चार मार्च से 13 मार्च तक विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है.
भारत के रुख का चीन ने जोरदार समर्थन किया
हाल में रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोफ और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वर्चुअल बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ओलांपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों के आयोजन में चीन की तरफदारी की। इसके बाद रूस, चीन और भारत के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद साझा बयान जारी कर कहा गया कि चीन में 2022 में विंटर ओलंपिक्‍स और पैरालंपिक्‍स खेलों की मेजबानी के लिए मंत्रियों ने समर्थन किया है। बता दें कि चीन और भारत के बीच पिछले 19 म‍हीनों से सीमा पर तनाव है। इतना ही नहीं चीन भारत से लगी सीमा पर सैन्‍य ठिकाना और मजबूत कर रहा है।
बाइडन ने चीन में हो रहे ओलंपिक्‍स खेलों का किया बहिष्‍कार
अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने चीन के साथ चल रहे मतभेदों के मद्देनजर कहा है कि उनका देश इन खेल आयोजनों के राजनयिक बहिष्‍कार के बारे में सोच रहा है। बाइडन ने कहा है कि अमेरिका अपने खिलाड़‍ियों को तो चीन भेजेगा, लेक‍िन अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजने पर विचार कर रहा है। यह उम्‍मीद की जा रही है कि अमेरिका के इस फैसले के साथ आस्‍ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी भी जा सकते हैं। अमेरिका के इस विरोध के बाद चीन ने भी इसके लिए राजनयिक प्रयास शुरू कर दिए हैं।
मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारत के रुख का सराहा
भारत के इस समर्थन को लेकर चीन कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले ग्‍लोबल टाइम्‍स ने अपने लेख में लिखा है कि भारत के समर्थन से पता चलता है कि वह अमेरिका का स्‍वभाविक सहयोगी नहीं है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारत के इस फैसले की जमकर तारीफ की है। ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारत के इस रुख की सराहना की है। टाइम्‍स ने लिखा है कि चीन के साथ कई मसलों पर तनाव के कारण भारत हाल के वर्षों में अमेरिका के करीब हुआ है
भारत की राजनयिक और रणनीतिक स्वयत्तता को बताया उम्‍दा कदम
चीन पत्र ने लिखा है क‍ि भारत ने विंटर ओलंपिक्स में चीन का समर्थन कर राजनयिक और रणनीतिक स्वयत्तता का परिचय दिया है। अमेरिका की तरफ झुकाव के बावजूद भारत ने दिखाया कि वह सभी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामले में अमेरिका के साथ नहीं रह सकता। यह बहुत ही साफ है कि नई दिल्ली वाशिंगटन का स्वभाविक सहयोगी नहीं है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया से मजबूत होते संबंधों के बावजूद भारत ने चीन, रूस और शंघाई सहयोग संगठन के साथ ब्रिक्स के सदस्य देशों से भी संबंधों को आगे बढ़ाना जारी रखा है। इससे पता चलता है कि भारत अपनी विदेश नीति उदार रखना चाहता है और अपने संबंधों को किसी खेमे तक सीमित नहीं रखना चाहता है।
भारत की विदेश नीति की तारीफ करने के पीछे की योजना
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि विंटर ओलंपिक्स में भारत के इस रुख से साफ है कि वह जापान और आस्‍ट्रेलिया की तरह अमेरिका का छोटा भाई नहीं बनना चाहता है। भारत अपने दम पर ताकतवर बनना चाहता है और अमेरिका से जुड़ने को लेकर अनिच्छुक है। इस लेख का शीर्षक दिया है, भारत ने विंटर ओलंपिक्स में चीन का समर्थन कर बता दिया है कि वह अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी नहीं है। प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा है यह चीन की कूटनीत‍िक चाल है। चीन का यह अखबर मोदी सरकार की विदेश नीति की तारीफ करके भारत को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है।
बाइडन ने लोकतंत्र सम्‍मेलन में चीन को नहीं बुलाया
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि ओलंपिक के नियमों के अनुसार खेल में नेताओं के शामिल होने के लिए आईओसी का निमंत्रण अनिवार्य है। चीन की कोई योजना नहीं है कि वह इस खेल में अमेरिका या पश्चिम के नेताओं को आमंत्रित करे। बता दें कि अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने लोकतंत्र सम्मेलन में भी चीन और रूस को आमंत्रित नहीं किया है। इसमें 110 देशों को आमंत्रित किया गया है। भारत और पाकिस्तान को आमंत्रित किया गया है लेकिन रूस, चीन, तुर्की, बांग्लादेश समेत कई देशों को नहीं बुलाया गया है।
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