भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद पिछले सालों में राजनीतिक कारणों से इसके दोषियों और साजिशकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों को बाधित कर दिया गया था। इससे इस आतंकी हमले के जिम्मेदार लोग आसानी से आजाद घूम रहे हैं और भारत के खिलाफ सीमा पार हमलों को जारी रखे हुए हैं।
आतंकवाद के कारण शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को कहा कि एशिया और अफ्रीका में खासतौर पर आतंकी संगठन आइएस और अलकायदा से जुड़े आतंकी संगठनों ने नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाना जारी रखा है। आतंकवाद के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
10 आतंकियों ने चार दिन तक मुंबई में किया कत्लेआम
कंबोज ने सुरक्षा परिषद की कमेटी 1267/1373/1540 की अध्यक्षता करते हुए संयुक्त वार्ता में कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि नवंबर, 2008 में पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आए दस आतंकियों ने मुंबई में प्रवेश करके शहर में चार दिनों तक कत्लेआम किया और 166 लोगों की जान ले ली। इसमें 26 विदेशी नागरिक थे।
हमारे प्रयासों को राजनीतिक कारणों से अवरुद्ध किया गया
उन्होंने कहा, 'इन आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं और मददगारों पर प्रतिबंध लगाने के हमारे प्रयासों को अतीत में राजनीतिक कारणों से अवरुद्ध कर दिया गया। वे खुलेआम से अपने मंसूबों पर काम करते हुए मेरे देश के खिलाफ सीमा पार से हमलों को अंजाम देते रहे।'
UNSC ने आतंकवाद रोधी समिति के नेतृत्व पर भारत को सराहा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों ने आतंकवाद रोधी समिति (सीटीसी) के भारत के नेतृत्व और पिछले महीने देश में इसकी विशेष बैठक की सफल मेजबानी करने को लेकर उसकी सराहना की है। यूएनएससी ने इसे एक प्रमुख कार्यक्रम बताया, जिसमें भविष्योन्मुखी दिल्ली घोषणापत्र स्वीकार किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी समिति ने भारत में संपन्न हुए अपने दो दिवसीय सम्मेलन में 29 अक्टूबर को सदस्य देशों से आतंकवादी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की अपील की थी। सम्मेलन में 15 सदस्यीय यूएनएससी के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।