जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ''शांति की संस्कृति'' विषय पर संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने को लेकर पाकिस्तान को भारत ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उस देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को 'कमजोर' कर दिया गया और एक ऐतिहासिक मंदिर पर हुए हमले के दौरान वहां की कानून प्रवर्तन एजेंसियां 'मूक दर्शक' बनी रहीं. बता दें कि पिछले वर्ष दिसंबर में, पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कारक जिले के टेर्री गांव में, कुछ स्थानीय मौलानाओं तथा कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी जमीयत उलेमा ए इस्लाम के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ ने एक मंदिर में आग लगा दी थी.
इस हमले की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी, जिसके बाद पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था. भारत ने इस पड़ोसी देश में 'धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए शांति और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने' के प्रस्ताव को स्वीकार करने के संबंध में अपने वक्तव्य में बृहस्पतिवार को कहा, ''यह बहुत बड़ी विडंबना है कि वह देश, जहां हाल ही में मंदिर पर हमला हुआ और उसे ध्वस्त कर दिया गया तथा जहां इस तरह के हमले सिलसिलेवार रूप से होते रहते हैं और जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों को 'कमजोर' कर दिया जाता है, वह देश 'शांति की संस्कृति' विषय के तहत प्रस्ताव का एक सह-प्रायोजक है.''भारत ने कहा, ''इस प्रस्ताव की आड़ लेकर पाकिस्तान जैसे देश छिप नहीं सकते हैं. ''