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कोलंबो (आईएएनएस) श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि ऋण संकट का सामना कर रहे विकासशील देशों और जी-20 के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने के लिए भारत सबसे अच्छी स्थिति में है, जिसकी वर्तमान अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने वर्चुअल रूप से भारत द्वारा आयोजित दो दिवसीय वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीलंका के वित्त मंत्री शेहान सेमासिंघे ने कहा कि द्विपक्षीय लेनदारों से ऋण आश्वासन प्राप्त करने में देरी द्वीप राष्ट्र में 22 मिलियन लोगों पर भारी पड़ रही है, जो 1948 की आजादी के बाद से सबसे मुश्किल आर्थिक संकट से गुजर रहा है।
हम अपने पार्टनर्स की सहायता से अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आश्वस्त हैं। हालांकि, तकनीकी चिंताओं को लेकर यह अनिश्चितता और महत्वपूर्ण स्वीकृति में देरी श्रीलंका के लोगों पर भारी पड़ रही है।
राज्य मंत्री ने कहा, विचार-विमर्श चल रहा है, और इस तरह के तकनीकी मुद्दों और देरी से देश के लोगों के जीवन पर भारी असर पड़ रहा है। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि आपसी समझ से, इस प्रक्रिया का अंतिम चरण जल्द ही पूरा होगा।
आईएमएफ ने श्रीलंका के लिए 2.9 अरब डॉलर के सशर्त बेलआउट पैकेज पर सहमति जताई है, लेकिन देश को भारत, चीन और जापान सहित द्विपक्षीय लेनदारों को राजी करना होगा, जो प्रमुख ऋणदाताओं ने उनके द्वारा दिए गए ऋणों का पुनर्गठन किया है।
कुल 10 सत्रों के साथ, शिखर सम्मेलन में श्रीलंका सहित वैश्विक दक्षिण के 125 देशों के नेताओं और मंत्रियों की भागीदारी देखी गई।
'यूनिटी ऑफ वॉइस, यूनिटी ऑफ पर्पस' थीम के तहत, यह अपनी तरह का अनूठा शिखर सम्मेलन है, जो विकासशील दुनिया की प्राथमिकताओं, ²ष्टिकोणों और चिंताओं पर केंद्रित है।
--आईएएनएस
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